अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

अललटप्प बोदूराम

by Mishra Pankaj | 3:53 PM in |


नमस्कार मै पंकज मिश्रा एक बार फ़िर से हाजिर हुआ हु बोदूराम के कारनामे लेकर. जैसा कि आपने पछिले पोस्ट मे पढा किस तरह बोदूराम की जय-जयका हुआ था . हां ये अलग बात है वो जय-जयकार हाथी के पागल हो जाने की वजह से हुआ था .:)
अब आगे पढिये,

बोदूराम सेनापति के पद से अवकाश लेकर घर आ चुके थे और घर पर आने के बाद विचार किया कि भले से ही हमारी जय-जयकार हो रही है , लेकिन अगर कुछ दिन और इसी तरह चला तो ये तो गांव के छोरे-कम-छीछोरे तो मेरी जान लेकर ही मानेगे .

बोदूराम ने फ़ैसला किया कि ताऊजी से इस्का उपाय पुछ लू कि छोरे-कम-छिछोरो से कैसे निपटू.बस क्या था बोदूराम ने ताऊ जी को को फ़ोनिया दिया. खच खुच ,खच,खुच, खच-खुच खुच. अरे भै इस्क मतलब नम्बर डायल करना:) सामने से ताऊ की आवाज आयी - हेल्लो बोदूराम: हां ताऊजी ?
ताऊजी:अरे बावलीबूच ये तो मेरा नाम है तू अपना नाम बता .


बोदूराम :ताऊ मै बोदूराम बोल रह हू. ताउजी : हां बेटा बोदूराम बोल , आज्कल तो तेरे बडे कारनामे सुन रिया हू, के बात है तन्ने तो काम कर दिये हो . कही से जादू वादू सीख लिये हो के? बोदूराम: ताऊजी मजाक बाहर रखो मारे उपर दुश्मन नू नजर लाग गयो है. ताऊजी: के भयो बेटा बोदू कुण से दुश्मन नू नजर लागे है जरा मन्ने भी तो बता? बोदूराम : के बताऊ ताउ मन्ने बेरा नी चले है . बस आप तो मन्ने कोई उपाय बताय राखो कि मारा दुश्मन मारो कुछ नी बिगाड पावे . ताऊजी : तू ध्यान सुण . आज के बाद कोइ भी समय हो तू कुछ ना कुछ बोलते रहना हमेशा .चाहे
तुझे उस बात के बारे मे पता हो या नही . अब आगे सुनिये बोदूराम के गांव वालो ने प्लान बनाया कि किसी तरह बोदूराम का गला काट दिया जाये . लेकिन गांव का कौन सा बन्दा जाये गला काटने ? मामला इसी बात पर अटका था.
तय हुआ कि गांव का नाई बाल काट्ने के बहाने जाये और बोदूराम का गला अपने छूडे से अलग कर दे. गांव का नाई कल्लन इस बात के लिये तैयार हो गया . प्लान के मुताबिक कल्लन छूडा लेकर पहुच गया बोदूराम के पास और बोला : बोदूराम जी बाल काट दू क्या आपके ?

बोदूराम ने हां मे सिर हिला दिया . कल्लन ने सोचा कि बाल तो काटना नही है काटना तो गर्दन है इसी गरज से वो छूडे को वो बारीक करने लगा . इधर बोदूराम के दिमाग मे ताऊजी की बात गयी कि ताऊजी ने कहा है कि कुछ ना कुछ बोलते रहना चाहिये . चलो अभी चेक कर लेते है .
बोदोराम ने कल्लन से कहा: कल्लन मै जानता हो ये छूडा तुम क्यु बारीक कर रहे हो . कल्लन के जान गले तक गयी कि इसको कैसे पता चल गया कि मै इसको मारने आया हू? कल्लन बोला: हूजूर माफ़ कर दो मुझे नही पता था कि तुम्हे पता है . और ये कहते हुए कल्लन अपना झोला लेकर भगने लगा

पिछे पिछे बोदूराम भागा : अरे कल्लन सुनो मै तो मजाक कर रहा था मुहे पता है तुम मेरा बाल काटने आये हो .सुनो तो सही


कल्लन : नही महराज मै वपस नही आउगा नही तो अब आप मेरा गला काट दोगे .

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3 comments:

  1. Arvind Mishra on September 5, 2009 at 4:56 PM

    ये बोदूराम कहाँ से ढूंढें गए कभी इस पर भी प्रकाश डालें !

     
  2. ताऊ रामपुरिया on September 5, 2009 at 8:48 PM

    भाई लगता है ये बोदूराम भी बिलायत रिटर्न है सारे गुरुमंतर जानता है.

    रामराम.

     
  3. निर्मला कपिला on September 5, 2009 at 8:54 PM

    ये बोदूराम तो बहुत होशियार है पंकज जी सही जा रहा है बोदू जी कासफर आभार्

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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