अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

सच्चा प्यार

by Mishra Pankaj | 4:02 PM in , , | comments (3)

पूरा पढ़ने के लिए नीचे की फोटो पर क्लिक करे
















हमारे गृह जनपद जौनपुर में एक ऐसा मंदिर है जहा के पूरे बारह गावों के लोग कभी भी सांप के काटने से नही डरते है क्युकि उनके ऊपर साप के बिष का असर नही होता है

और इस मंदिर का प्रसाद बारह गावों की पुत्रियों और भान्जीयों को खाना मना है
ऐसी धारणा है की अगर किसी कन्या ने इस
मंदिर का प्रासाद खाया तो उसको आजीवन बिधवा रहना पडेगा उसका पति मर जाएगा

बात है जौनपुर जनपद रामनगर ब्लाक मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित अहिरौली गांव जहां एक बड़े तालाब के किनारे लौहारदेव का मन्दिर है । वर्ष 2003 में इस मन्दिर को बनवाने के लिए नींव की खुदाई हो रही थी जहां सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे और उनकी प्रबल इच्छा हुई कि लौहारदेव दर्शन दें। लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब थोड़ी देर में सर्प रूप में चबूतरे पर आकर लौहार देव ने ग्रामीणों को दर्शन दिया। उनकी मूर्ति पहले नाग रूप में चबूतरे पर स्थापित थी जहां आज भी सैकड़ों वर्ष पुराना बरगद का विशाल पेड़ मौजूद है।

ऐसा मान्यता है कि लोहार देव उस मंदीर के आस पास रह रहे दुबे परिवार के कुल देवता है । कहाजाता है कि बहुत सम
पहले वहा एक दुबेपरिवार रहता था जिसके पुत्र थेजब इनकी माँ सबके लिए खाना लगती तो वहा अपने आप एक भोजन की थाली और लग जाती थीइससमस्या को हल करने के लिए बनारस से एक प्रकांड पंडित जी बुलवाए गए । आह्वान करने पर लौहारदेव प्रकट हुए और कहा कि मैं इनका सातवां पुत्र हूं।

एक किंवदन्ती के अनुसार इन सातों भाइयों की एक बहन थी। एक बार रक्षाबन्धन के दिन उसने कहा कि सभी भाई तो राखी बांधने पर कुछ उपहार जरूर देंगे लेकिन सातवां जो आधा मानव व आधा सर्प था वह क्या देगा। इस पर उन्होंने कहा कि बहन राखी बांधने के बाद तुम मेरी पूंछ का एक इंच भाग
काट लेना तो सोना हो जायेगा। लालच में आकर बहन ने पूंछ का कुछ ज्यादा भाग काट लिया। इस दौरान रक्तस्त्राव होने पर पीड़ा होने के कारण श्राप दिया यहां मेरा एक मंदिर तो भविष्य में बनेगा लेकिन उनके खानदान के विस्तार के बाद भी कोई पुत्री उनका प्रसाद नहीं खा सकेगी। यदि ऐसा हुआ तो उसे विधवा का जीवन व्यतीत करना पड़ेगा।

अब इस कहानी में कितनी सच्चाई है ये तो किसी को नही पता लेकिन वहा के लोग आज भी अपने पुत्रियों को मंदिर में जाने से मना करते है


















आज सुबह-सुबह जब ऑफिस के लिए निकला तो घड़ी में आठ बजकर पॉँच मिनट हो चुके थे
मेरी ट्रेन सुबह आठ बजकर दस मिनट की है और रूम से स्टेशन का रास्ता सात सौ मीटर का हैवैसे तो मै टाइम से निकलता हु लेकिन आज तबियत कुछ नरम होने के नाते देर हो गयी

मै भागा भागा स्टेशन की तरफ़ जा रहा था कि सामने से एक लड़का लगभग बीस साल का मोटर साकइल लेकर रहा था और सायद पीछे अपनी महबूबा को बैठा रखा था ( ऐसा उन दोनों के ब्यवहार से लग रहा था ) ने मेरे पास आते आते अपने गाडी की स्पीड बढ़ा ली
मै किसी तरह पानी में पैंट को हाथ से ऊपर उठाकर उस सड़क को पार करना चाहता था लेकिन उस लडके ने पानी में महबूबा के साथ मस्ती करने के चक्कर में सड़क का सारा कीचड़ युक्त पानी मेरे ऊपर उडाते हुए फर्राटे के साथ निकल गया

मै बस उन दोनों को देखता रह गया बेबसी के साथ

लेकिन अगले ही पल कुछ दूरी पर वो दोनों भी संतुलन बनाये रखने के कारण गिर पड़े

काश !अगर कही वो दोनों अपना मानसिक संतुलन बनाए रखते तो तो वो गिरते और ही मेरी ट्रेन छुटती !!!


खैर छोडिये आप देखीये ये एकदम प्यारा विडियो और मुझे भरोसा है आप हसते हसते लोट पोत हो जायेगे








इस आश्चर्यजनक विडियो को देखिये किस तरह परछाई के द्वारा कई चित्र तैयार किया जा रहा है





एक बार की बात हैएक अत्यन्त गरीब आदमी भोजन की तलाश में टहल रहा था और लगातार भगवान् को मनाये जा रहा था कि उसे कोई कुछ खाने को दे दे
माता पार्वती कैलाश पर्वत के ऊपर बैठकर नीचे पृथ्वी पर हो रही गतिविधियों को देख और उस पर अपने हिसाब से उचित अनुचित का निर्णय मान कर छोड़ दे रही थी
अचानक जब माता पार्वती कि निगाह उस गरीब आदमी पर पडी तो सोच में पड़ गयी कि इस आदमी ने ऐसा क्या कर दिया है कि इसको खाने तक के लाले पड़े है ?
तुंरत ही माता भागकर भगवान् शीव के पास गयी और भगवान् से हठ कर बैठी कि इस मानव को कुछ कुछ आप प्रदान करिए
भगवान् शीव ने उत्तर दिया कि , हे देवी मै बहुत कोशीश किया इसे कुछ नही बहुत कुछ देने की पर ये लेता ही नही
माता बोली आप मेरे सामने दो मै देखती हु ये कैसे नही लेता है तुंरत भगवान् शीव ने एक माया रुपी सोने की ईट बनाकर उस गरीब के रस्ते में रख दिया गरीब भूखा थका हारा चला जा रहा था अचानक उसके दिमाग में आया कि मै तो सिर्फ़ भूखा हु कितने तो भूखे और अंधे दोनों होते है भला वो कैसे अपना जीवन बसर करते है ? यह दिमाग में आते ही उस मानव के अन्दर यह इच्छा जागृत होती है की वो भी अँधा बनाकर कुछ दूर चलेगा और यह आभास करेगा कि अंधे कैसे चलते है यह सब बातें सोचते-सोचते वह गरीब सोने के ईट के एकदम करीब हो गया माता पार्वती खुश हो रही थी कि अब वह गरीब उस सोने की ईट को ले लेगा और शंकर जी मंद मंद मुस्करा रहे थे अचानक ऐसा विचार आते ही कि अंधे कैसे चलते है वह गरीब स्वयं आँखे मुद लेता है तथा उस सोने की ईट को पर कर जाता है पार्वती माता अपना माथा पीट लेती है और कहती है कि मानव स्वयं ही सब कुछ करता है और स्वयं भोगता है


शाहिद कपूर एक जाना माना नाम,
विवाह जैसी पवित्र फ़िल्म के नायक और भी कई सुपर डुपर हिट फ़िल्म के हीरो आज कल ग्रहण से पीड़ित चल रहे है

लगातार कोई उनके नाम का दुरुपयोग कर रहा है और उनके चाहने वालो को उनके नाम से बेवकूफ बना रहा है
अभी कुछ दिन पहले ही किसी महानुभाव ने उनके नाम से ट्विटर पर एकाउंट बना दिया था किसी तरह शाहीद ने वेब साईट वालो से बात करके उस एकाउंट को हटवाया

किसी तरह राहत महसूस कर रहे शहीद कपूर को कल एक दूसरा झटका लगा जब एक एंटी-वायरस कम्पनी ने यह ख़बर दिया की मार्केट में शाहिद कपूर के नाम से वायरस फैलाया जा रहा है

अब क्या करेगे शाहिद कपूर ?

पता चला है की यह एक मेल वायरस है जो कि आपके इनबाक्स में आयेगा और अपने आप से ही ढेर सारा ग़लत सही :) मेल सबको भेजेगा आपकी मेल आईडी से

जब मेल आपके पास आयेगा तो उसमे शाहिद कपूर के नाम का अटैचमेंट होगा जैसे ही आप इसको ओपन करोगे आपका काम तमाम


देखो हो सकता है एंटी -वायरस कंपनी अब कोई कटरीना या करीना एंटी - वायरस निकाले इसके लिए :)।
अब वायरस लिस्ट में एक और नाम जूड़ गया शाहीद कपूर


चित्र - साभार गूगल


कही कही तो बारिश एकदम से नही हो रही है और कही कही इतनी हो रही है की बंद होने का नाम नही ।
जहा होनी चाहिए वहा नही हो रही है और जहा नही होनी चाहिए वहा ये नौबत है की लोग कह रहे है की ,
थम के बरष हो ज़रा थम के बरष मुझे ड्यूटी पे आज जाना है देर से पहुचुगां मुझपे बरसेगा
जम के बरष जा कही और बरष


आज चार दिन हो गया बारीश रुकने का नाम नही कोई रोकने वाला भी नही है क्युकी सारे के सारे कर्मचारी मय इन्द्र इस समय मीटिंग में व्यस्त है जैसा की हमारे वरिष्ठ ब्लॉगर बंधू कह चुके है की आज बादल और बदली की मीटिंग चल रही है इन्द्र के साथ। और जो एक दो बच गए है ओ भक्तो को SMS करने में व्यस्त है
अब कौन सुध ले की भाई जो तुमने दमन में अपना बरसात चालू कर रखा है कृपया वहा से बंद करके हमारे अन्य स्तुति गान करने वाले लोगो के एरिया में जाइये ।
और वहा लगातार मुंबई , गुजरात , दमन और सिलवासा में बारीश अपना असली रूप दिखा रही है ।
सायद बदली और बादल भूल गए कि यहाँ की आउट पुट तो खोल रखी है
अब एक दरबारी भागा -भागा आता है और इन्द्र देवता से बोलता है की -
अरे आप लोग यहाँ मीटंग में व्यस्त हो वहा इंडिया गेट, वरसोवा , दमन का अस्तित्व खतरे में है । इन्द्र देव आप कुछ करो दूसरी तरफ़ UP, बिहार, राजस्थान आदी इलाके में सरकार सुखा का पैसा बाट रही है ।
इन्द्र देव ने जब ये बातें सूनी तो उनके कान खड़े हो गए उन्होंने तुंरत बादल और बदली को घूर के देखा और पूछा - क्यो , मै आप लोगो से पूछता हु ऐसा क्यों ?
बदली - महाराज आप न पूछे तो अच्छा है ये सब उन मानवों की ही गलती है ।
इन्द्र देव - कैसे ....?





अब बादल से नही रहा गया ओ बोल उठा । महाराज हम अपना काम सही तरीके से करते है लेकीन ये मानव हमारे ऊपर ब्लेम करते है कहते है कि हम बदली से मिले है और कुली कि मांग कर रहे है लेकिन महाराज जहा हम पानी बरषा रहे है वहा के लिए तो हमने कोई कूली की मांग की आपसे कभी ?

बदली - हा महाराज और मुझे ये कहते है कि मै जहा पे क्रीम पावडर देखती हू ही पे बरसने लगती हू अब आप ही बताओ महराज हम इतने गिरे हुए है ?
इन्द्र - ऐसी बात् है ।
बदली - हा महाराज और कहते है कि मै सिर्फ़ शहरों में ही बरसती हू महाराज आप बताओ जब शहर में बड़ी बड़ी बिल्डिगे चिमनिया है हम लोग वहा ही टकराकर गिर जाते है तो क्या करे ?
इन्द्र देव - ऐसी बात्, चित्रगुप्त सवारी तैयार करवाओ हम स्वयं देखेगे ।



सभी फोटो गूगल से साभार


हमारे ब्लाग गुरुदेव

हमारे ब्लाग गुरुदेव
श्री गुरुवे नमः

चिट्ठाजगत
www.blogvani.com

Followers

About Me

My photo
साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
विजेट आपके ब्लॉग पर