अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

by Mishra Pankaj | 8:16 PM in | comments (15)

काफी दिनों के बाद जब मै आज अपने इस ब्लॉग पर सुबह सुबह लौटा तो देखा की हमारा सबसे प्यारा बोदूराम तो दिखाई ही नहीं दे रहा है काफी लोगो से पूछताछ करने पर पता चला की बोदूराम को तो पुलिस उठा ले गयी ..
उलटे पाँव मै भागा-भागा पुलिस थाने पहुचा तो क्या देखता हु की बोदूराम को पुलिस वाले बुरी तरह पीट रहे थे !
मै बोदूराम के पास गया और पूछा , तो बोदूम ने जवाब दिया -
अरे भईया यही बतिया तो हमारी भी ना समझ में आ रही है की क्यों पीट रहे है ? और कह रहे है की जबान लड़ाता है , जबान लडाएगा तो और पिटुगा , बस इसी डर से हम पूछ भी नहीं रहे है ,
और ये साले ट्रेनिंग वाले पुलिस है , तो का ससुरे हमही मिले थे ट्रेनिंग के लिए ?

मै पूछा - अरे बोदूराम जी ज़रा याद तो करो कही कुछ तो गड़बड़ किये होगे यार
बोदूराम बोला - कुच्छो नहीं किये है सुबह जगे और साइकिल लेकर ब्लॉगखाने जा रहा था .
एक बीडी जला लिया था और उसका वही रखिया गिराने जा रहा तो देखा की समनवा से नगर पालिका वाला चला आ रहा था , तो हम सोचे की अगर यहाँ रखिया गिरायेगे तो इ पालिकावा वाला हमका पकड़ लेगा इसीलिए रखिया नहीं गिराए ,
तभी बगल में एक मोटर साइकिल आकर रुकी और उस पर पिछवा एक मैडम बैठी थी और उनकर जीन्सवा पिछवा गोल होकर के कमर के पास एकदम कटोरी जैसा बन गया था , हम सोचे इ ऐश ट्रे है , बस का था पुरी रखिया वही गिरा दिए ,
बस एक वह समय था और एक अब, तब से इ ससुरे गदहा की तरह पीट रहे है और कहते है की जबान लडाएगा तो और मारेगे .
बस इसी दर से हम पूछ भी नहीं प् रहे है की काहे पीट रहे है

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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