अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , आप सब को नेट की अनुपलब्धता के चलते कल आप सब से मुखातिब नहीं हो पाया क्षमा चाहता हु .

दशहरा की एक ताजा तरीन घटना आप सब के साथ बाटना चाहता हु ! दशहरे के दिन छुट्टी थी मन बनाया कि चलो मुंबई घूम कर आते है . स्टेशन गया टिकट लिया बैठ गया ट्रेन में . कुछ ही देर बाद मेरे एक मित्र जो कि इनकम टैक्स विभाग में काम करते है दिखाई दिए , मै सीट पा गया था इसीलिए सोचा चलो इनके साथ सीट शेयर कर लेता हु , सज्जन का नाम भावसार भाई है .

मै बुलाया - अरे भावसार भाई , आवी जाओ आइंया सीट छे .
(मतलब जाइए यहाँ सीट है )
भावसार भाई मेरे पास गए जैसे ही पास आये सेंट के जोरदार खुशबू मेरे नाको में पडी जो कि उनके शर्ट पर पडी थी . मै देखा भावसार भाई एकदम टंच नया शर्ट पैंट और नया जूता. मेरा मूड मजाक का हो गया , मै बोला क्या बात है भावसार भाई आज तो कहर ढा रहे हो :


भावसार भाई ये कपडे कहा से लिए , और कितने का है ?
भावसार भाई ने जवाब दिया - नहीं भाई लिया नहीं गिफ्ट मिला है
मै पूछा कहा से ? ससुराल से
भावसार भाई ने जवाब दिया - नहीं
मै फिर पूछा - पापा जी ने दिया या बीवी खरीद कर लाई ?



भावसारभाई ने जवाब दिया - नहीं
मै बोला फिर कहा से ?
भावसार भाई - कस्टमर ने दिया

मै चौका - कस्टमर ने ,
हां कस्टमर ने तुमको पता है आज तक जब से मै ड्यूटी कर रहा हु कभी भी अपने पैसे का कपडा नहीं पहना ये पैंट ये शर्ट और ये जूते सभी कस्टमर ही देते है . सिर्फ शरीर मेरा है

मै अवाक , हैरान उसको देखता जा रहा था और वह अपने लूट घसोट की बात सीना तान के मुझसे कहता जा राहा था .
मेरे दिमाग में आया एक रावन तो मै अपने पास ही बैठाया हु





नमस्कार , आज आपका ध्यान मै कुछ ऐसी बातो पर ले जाना चाहता हु जो कि आप सब को पता है पर शायद ध्यान नहीं दिया होगा कभी आपने उस तरफ ,
अब मै ये कैसे कह रहा हु कि आपने ध्यान नहीं दिया होगा , इसीलिए कि अगर ध्यान दिया होता तो अब तक एक दो पोस्ट जाती उस पर .

बात है गानों की पुराने फिल्म के गाने और नयी फिल्म के गानों की एक झलकी .
पहले पुराने फिल्म का एक गाना -
सातो जनम मै तेरे साथ रहूगा मै यार , मर भी गया मै अगर तो करता रहूगा प्यार .
नए दौर का गाना -
चाँद को तद दुगा , सूरज को मोड़ दुगा
एक बार तू हां कर दे , मै पहले वाला छोड़ दुगा !!

पुराने दौर का गाना -
सात समुन्दर पार मै तेरे पीछे पीछे गयी , जुल्मी बेईमान तेरे कदमो के नीचे गयी !

नए दौर का गाना -
ऊँची है बिल्डिंग , लिफ्ट तेरी बंद है
कैसे मै आऊ? दिल रजामंद है !!

पुराने दौर का गाना
मेरी चन्दा है तू मेरा तारा है तू, मेरी आँखों का सहारा है तू .

नए दौर का गाना
कहते है सभी कि बड़ी हाट हु मै ....................... मगर ख्याल ये रहे ज़रा
मम्मी को नहीं है पता , मम्मी से मत कहना

नमस्कार , मै पंकज मिश्रा स्वागत करता हु अपने साप्ताहिक कार्यक्रम हँसी के रंग, पंकज के संग में.
आज इसका ६ठा अंक है .


-बोदूराम एक बार एक जगह संगीत सुनने गए थे एक गायक बहुत ही बोरियत वाला गाना गा रहा था. सारे दर्शक परेसान हो गए और उब कर सोने लगे . बोदूराम मंच के सामने डंडा लेकर टहल रहा था . गायक ने देखा कि यह आदमी बहुत देर से डंडा लेकर टहल रहा है .गायक ने कहा - भाई साहब बैठ जाइए बस ये आख़िरी लाइन पेश कर रहा हु .
बोदूराम- नहीं नहीं जनाब आप पेश करते रहो दो चार लाइन और मै तो उस बेवकूफ को ढूढ़ रहा हु जिसने तुम्हे यहाँ बुलाया है .

http://media.merchantcircle.com/25911034/fun_medium.gif
- बोदूराम एक जगह गए थे हास्य नाटक देखने . लेकिन नाटक में मजा नहीं रहा था पब्लिक सो चुकी थी इतने में पीछे से तालियों की आवाज आयी .
नाटक के पात्र परेशान हो गए और देखा तो पीची बैठे बोदोराम जी ने ताली बजाई थी.
नाटक के कलाकार ने पूछा भाई साहब सारे लोग तो सो गए मेरा ये नाटक देखकर आप को क्या अच्छा लगा जो ताली बजा रहे हो ?
बोदूराम - कुछ नहीं आप लोग खेलो नाटक मै तो बस नीद नहीं आ रही थी इसीलिए तम्बाकू बना रहा था :)http://www.larj.biz/images/fun.gif

नमस्कार , काफी दिन से बोदूराम के बारे में चर्चा ना होने के कारण बोदूराम नाराज हो गए थे इसीलिए आज फिर से बोदूराम की बारी है.

बोदूराम को गाव में मजा नहीं रहा था तो बोदूरामने सोचा क्यों ना एक चक्कर मुंबई का लगा लिया जाए . बस यही ख्याल आते ही बोदूराम मुंबई जाने के लिए तैयार हो गए . पड़ोस के गयादीन से ये भी पुछ लिया कि मुंबई जाने के लिए रेल कहा से मिलेगी . गयादीन ने बताया कि रेल मुगलसराय रेलवे स्टेशन से मिलेगी . बस क्या था बोदूराम पहुच गए मुगलसराय .



बोदूराम रेलवे स्टेशन पहुचे ही थे कि आवाज आयी कि प्लेटफोर्म नंबर दो से तेज गाडी पास हो रही है कृपया लाइन पार ना करे .

बोदूराम ने इतना सूना और फटाक करके रेलवे लाइन पर जाकर आराम से बैठ गए . एक आदमी बोला , अबे मरना है क्या एक तो वैसे ही ट्रेन लेट है तू मरके एक दो घंटे और बिगाडेगा . हट जा वहा पर ट्रेन रही है .


बोदूराम ने जवाब दिया - मरोगे तो तुम सब सूना नहीं ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो पर आ रही है , ,मै तो लाइन पर हु प्लेटफार्म पर तो तुम हो .



किसी तरह बोदूराम को सबने समझा बुझाकर वहा से हटाया .
मुंबई आने वाली ट्रेन भी गयी बोदूराम भी टीयर सी में बैठ गए .


टी टी आया और टिकट माँगने लगा .बोदूराम हैरान टिकट तो लिया ही नहीं.
टी टी बोला - टिकट दिखाओ .
बोदूराम ने एक कागज का टुकडा पकडा दिया
टी टी - ये क्या है
बोदूराम - टिकट
टी टी - एक तो सी में सफ़र और वो भी बिना टिकट ऊपर से मुझे बेव्कोफ़ बनाते हो कागज का टुकडा देकर कि यह टिकट है .


बोदूराम- तो और लोग या तुम्हे स्वर्ण पात्र दे रहे है ?
टी टी बोला - तुम अगले स्टेशन पर उतर जाना नहीं तो हम उतार देगे और अगले स्टेशन पर पुलिस ने बोदूराम को ट्रेन से उतार दिया .

बोदूराम्भी हार नहीं माना सीधे रेलवे लाइन पकड़कर मुंबई की तरफ चल दिया .



पीछे से ट्रेन भी चालू हो गयी जब ड्राईवर ने देखा कि कोई पागल रेलवे लाइन के ऊपर से जा रहा है तो लगा जोर जोर से हार्न बजाने .

बोदूराम पीछे मुड़कर देखा और बोला - पहले उतार दिए अब हार्न बजाकर बुला रहे हो नहीं आउगा :)

नमस्ते!!! हु पंकज छु अने तमारो स्वागत करू अपणे ब्लॉग ऊपर .
दो दिन से विचार रहा था कि किस तरह मै भी ज्यादा टी आर पी इकट्ठा करू ढेर सारा कमेन्ट आये और मेरा भी नाम चिट्ठाजगत के पट्टी पर लहराए . बस यही सवाल परेशान किये जा रहा था .

भरोसा ना हो तो एक राज की बात बताता हु मै आप सब के ब्लॉग पर टिप्पणी तो कर आता था लेकिन बिना पढ़े :)

दिन रात सोचने के कारण दिमाग पे हमेशा टी आर पी पाने की बात ही चढी रहती थी सोते जागते भी बस यही सोचता कि कैसे ज्यादा टिप्पणी मिले . कल जो मेरे साथ हुआ मै आपको बताता हु .
कल दिन भर मै इन्टरनेट के इस महाजाल में खोया रह गया ज्यादा से ज्यादा देखा लोग किसी ना किसी के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगा कर चुप चाप बैठ गए थे और कितने आरोप लगाकर बाज़ार घूमने चले गए थे , मतलब इन्टरनेट से लाग आउट हो गए थे . लोग आते और जिसके ऊपर आरोप लगता था उससे कहते घबराओ नही आने दो तो हम पूछते है , बिलकुल जैसे घर पर बड़ा भाई मुझे पीट दे और बाजार चला जाए तो पापा आकर बोले कि रोओं मत आने दो मै पूछता हु क्यों तुम्हे मारा



खैर दिन भर यही घटना देख कर गया था तो रात में सपने में भी यही सब आना लाजिमी है
सो गया और अध्याय शुरू हो गया मेरा भी टी आर पी पाने का , सबसे पहले मै वार किया समीर जी के ऊपर और ठेल दिया एक पोस्ट अपने ब्लॉग .




शीर्षक था - समीर जी आपने कमेन्ट दिया पर अपनों को सिर्फ .
आगे क्या हुआ ढेर सारा कमेन्ट आने लगा , नहीं भाई ऐसा नहीं है समीर जी तो नए ब्लॉगर पुराने ब्लॉगर सबका सम्मान करते है .
चलो कुछ भी कमेन्ट आया आया तो अपणे ब्लॉग ऊपर ही मै कमेन्ट पब्लिश करते करते थक गया . लेकिन तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे हाथ पर कुछ काट रहा है देखा तो मै पसीने से तर बतर बिस्तर लेता हु और एक मच्छर मेरे हाथ पर बैठा अपना कमेन्ट दे रहा था .
खैर मुझे पता चल गया कि मै तो नीद में सपने देख रहा था .


फिर से नीद लगी दूसरा कारनामा ताऊ जी के ऊपर
शीर्षक - ताऊ कौन है ये मुझे पता है ---

अब तो कमेन्ट की लाट देखता हु तो कमेन्ट approve करने काभी समय नहीं मिल पा रहा है मै खीझकर कमेन्ट फ्री कर देता हु बिना जाचे छपने दो .
तभी मुझे एहसास होता है कि कोई मेरे पीछे लट्ठ लेकर रहा है देखा तो एक मुछ वाला बन्दा था.



पास आया और दो बजाया और बोला डट जा मै तुझे बताता हु ताऊ कौन है,
मै कहा आप कौन हो
आदमी बोला - लट्ठ लेकर कौन चलता है
मै बोला ताउजी
ताउजी बोले - तो बावली बच मै ताऊ ही हु .


मै बोला गुस्ताखी माफ़ ये सब मै कमेन्ट पाने के लिए किया .
ताऊ बोले - और एक दो दे दू क्या लट्ठ भी मेरा कमेन्ट ही देता है
मै बोला - ताऊ जी माफी .
ताऊ जी बोले - ऐसे नहीं कोई गीत सूना तो छोड़ दुगा

मै ये गीत लगाया दिया जो आप सुन रहे हो यह गीत गरबा का है थोडा आवाज बढा लीजिये और हो जाइए शुरू नॉन स्टाप गरबा फाल्गुनी पाठक के साथ .Gujarati Garba I





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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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