अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार….आज  खाना खाते समय एक फ़िल्म मे एक गुंगे व्यक्ति का रोल देखा ..वैसे तो वह कामेडी कर रहा थे और सब हस -हस कर लोट-पोट हो रहे थे !

लेकिन अचानक मुझे यह बात ध्यान मे आ गयी कि यह तो एक कलाकार है जो गुंगे का रोल कर रहा है …इस समाज मे कितने गुंगे-बहरे अन्धे पडे हुए है उनको तो ऐसा कला करने का ना तो पैसा मिलता है और ना ही मै चाहता हु कि उनको कभी इस तरह की कोई कला करने की जरूरत है…भगवान अगर उनको कलाकार बना सकता तो गुंगा क्यु बनाता

अब तो मन मे यह आता है कि हम सब तो अपनी बातों को एक दुसरे से कह कर अपने मन को शान्त कर लेते है,,पर ऐसे लोग बेचारे भला वो क्या करते होगे?

कैसे अपने मन को कोई मना सकता है..कैसे किसी वस्तु बिषय के बारे मे बात करते होगे ये गुंगे …क्य हमारी सरकार ..और सरकार तो छोडिये हम खुद क्य करते है उनके लिये?

अन्धा होना , गुंगा बहरा होना एक अभिशाप है मानता हु या नही ..ये मत पुछिये लेकिन इतना जरुर जानता हु कि इनकी मदद करना हमारे लिये आशिर्वाद है हमे मिलेगा .

अगर आप इनकी मदद करेगे तो वाकई आप का दिल आप को सराहेगा और दुनिया मे मै उसी काम को सबसे अच्छा मानता हु जिसे करने के बाद समाज के साथ-साथ खुद का दिल भी कहे कि हां आज हमने ये बहुत अच्छा काम किया है….

रही बात समाज कि तो अकेले समाज के सराहने से कुछ नही होता ….क्युकि समाज मे कई तरह के लोग है शायद आप जिस काम को अच्छा मानते हो उसी को समाज का एक हिस्सा खराब बता दे…कभी समय मिले तो हमारे बातों पर गौर फ़रमाईयेगा

क्या कभी सोचा है आपने ऐसे लोगो के बारे में सोचिये और भरोसा है जिस दिन सोचेगे मेरी तरह सामने रखा निवाला भी अन्दर नही ले पायेगें

नमस्कार

समीर newनमस्कार , पंकज मिश्रा आपके साथ …कल अचानक तो नही मेरे नम्बर भेजने के बाद ब्लाग जगत के बादशाह ……आप तो समझ ही गये होगे कौन?

नही समझे अरे भईया बादशाह है ही कितने अपने समीर लाल “समीर” जी की बात कर रहा हु  …..ह तो अपने ब्लागजगत के बादशाह श्री मान समीर लाल जी का फ़ोन आया हमारे पास ….मै तो नम्बर देख कर ही समझ गया कि यह भारत मे तो कही से नही नम्बर है क्युकि यहा से लगभग सारे नम्बर का पहला दुसरा तो मालूम ही रहता है ..

खैर फ़ोन आया तो बात भी हुई ..दमन से घूमते-घूमते वापी ,वलसाड , नवसारी सुरत होते हुए हमारे जनपद जौनपुर तक बात आ गयी और हमारे जनपद मे समीर जी के रिस्तेदार रहते है जानकर खुशी हुई

अन्त मे समीर जी ने मुझसे कहा ..पन्कज और कुछ बताओ.

मेरे मुह से अचानक यही निकल गया जो कि सत्य है, मै बोला-

सर आप शरीर से जितने भारी लगते हो आपकी आवाज उतनी ही पतली है…और इसी बात के साथ प्रणाम के साथ हसते हुए मै और समीर जी ने फ़ोन बन्द किया ..

अब आप जितने लोगो ने आज तक समीर जी से बात किया है बताईये मै सही कहा कि नही ?

नमस्कार ...पंकज मिश्रा आपके साथ ...काफी दिनों से कूछ लिख नहीं पाया इस ब्लाग पर ..आज कोशीश कर रहा हु देखिये..

हुआ युं कि मै   छुट्टी में घर गया था और वहा पर छुटी का मौज लिया अब यहाँ आकर काम का बोझ ..बाप रे बाप! चलिए आपको बोदूराम के कारनामो से परिचय करवाते है ..

हमारे गाव में एक साहूकार है,  नाम है सोहन सेठ ..हुआ यु कि सोहन सेठ के पिताजी की मृत्यु हुए एक साल हो गया था ..मृत्यु के समय में भी होने वाले भोज में सोहन सेठ ने अपने कंजूसी का भरपूर परिचय  दिया था .....खाना खिलाने में कटौती कर  दी थी. और दान दक्षिणा में तो बिलकुल रूचि नहीं दिखाई थी..

साल भर बीतने के बाद गाव वालो ने कहा कि सेठ अपने पिताजी को गया पहुचा आओ ...गया बिहार में पड़ता है और हमारे यहाँ कि ऐसी मान्यता है कि अगर मृतक के सम्बन्ध का कोई गया जाकर मृतक के नाम का पिंड दान करे तो मृतक की आत्मा को शांति मिलती है ..खैर सोहन सेठ ने भी गया जाने का निर्णय ले ही लिया .
सोहन सेठ गया में पहुच भी गए ..जो भी पंडित सोहन सेठ के पास क्रिया कर्म करवाने आता ...सोहन सेठ पहले दाम पूछते ..दाम के मोल भाव में बात नहीं बनी... शाम होने को आ गयी तभी सामने से बोदूराम पंडित आते दिखाए दिए ...

2155430522_ef40f287d4 बोदूराम ने आते ही अपना परिचय दिया -नमस्कार जजमान ..मै यहाँ का पंडित ..क्रिया कर्म विशेषज्ञ ...सरकारी मान्यता प्राप्त हु.  मेरे द्वारा किर्या  करम करवाने से अच्छे अच्छे पापी आज स्वर्ग में बैठे नर्तकी नृत्य का रसपान कर रहे है ..इन्द्र के समक्ष बैठकर वहां के राज काज  में योगदान कर रहे है .मै इस तरह से कर्म कराता हु कि भगवान के पास उसका कोई काट नहीं होता सिवाय मृतक आत्मा को स्वर्ग देने के !!!
सोहन सेठ ने जब ये बातें सुनी तो उन्हें लगा कि अगर यह पंडित इतना बड़ा ज्ञाता है तो इसका रेट (दाम) भी ज्यादा होगा अतः इससे बात ना करू ...सोहन सेठ बोले कि महाराज मुझे कोई कर्म नहीं करवाना है ..
बोदूराम पंडित ताड़ गया कि सेठ तो रुपिया के लालच में मना कर  रहा है अतः बोले - जजमान आपने मेरी पूरी बात तो सुनी नहीं ...और मैं ये सब क्रिया कर्म  करवाने की दक्षिणा सिर्फ ११ रुपये ही लेता हूं .!!

अब तो सोहन सेठ को मुंह मागी मुराद मिल गयी ...और  तुरंत तैयार हो गए...क्रिया कर्म संपन्न हुआ तो सोहन सेठ ने बोदूराम को ११ रुपये देकर चरण  स्पर्श कर चलना चाहा ...तो बोदूराम ने कहा - जजमान एक बात और है मेरे कर्म कराने के बाद कर्म करवाने वाला व्यक्ति शरीर  पर जो कुछ भी धारण किया है उसे देना पड़ता है नहीं तो आगे शनिचर को उसका मौत हो जाता है...सोहन सेठ को तो करंट लग गया करे तो क्या करे?

अंततः सेठ के द्वारा शरीर पर पहने हुये सोने की चन , हीरे की अंगूठी, कडा और और सारे कपडे, यहां तक की  अंडरवीयर भी उतरवा लिया ..कुल मिलाकर  लगभग १ लाख तक का सामन  ऐंठ लिया और  सेठ से बोले -
बोलो बेटा पंडित बोदूराम की जय!
सेठ  बेडे दबे मन से  कहा - पंडित बोदूराम की जय!!!

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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