नमस्कार , मै पंकज अपने साप्ताहिक पोस्ट हँसी के रंग-पंकज के संग भाग ५ में !!
बोदूराम घर पे आराम कर थे तभी एक भिखारी आया और दरवाजे पर चिल्लाने लगा रोटी दे दो रोटी बहुत भूखा हु .
बोदूराम बाहर आया बोला बीबी जी घर पे नहीं है .
भिखारी बोला - मुझे बीबी नहीं रोटी चाहिए .
बोदोराम झुझला गया और बाहर आया १० रुपये के नोट दिया और बोला ये लो पर ये बताओ तुम इतने गरीब कैसे हो गए .
भिखारी बोला - पहले मै भी आप की तरह सबको ऐसे ही १० रुपये दे दिया करता था .
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बोदूराम सड़क पर से जा रहे थे उनको जाना था लाल किला रोड पर सामने से एक आदमी आ रहा था बोदूराम ने पूछा क्यों भाई ये रास्ता लाल किला जाता है .
आदमी ने जवाब दिया - ये रास्ता कही नहीं जाएगा जाना तुमको होगा .
बोदूराम ने पूछा - कितना दूर होगा
आदमी - १० मिनट का रास्ता है
बोदूराम - भाई साहब घड़ी उधार दे दो दरअसल घड़ी है नहीं मेरे पास तो समझूगा कैसे कि मै १० मिनट चल चुका हूँ .
एक चटका यहाँ भी
5 comments:
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M VERMA
on
September 20, 2009 at 5:21 AM
बहुत खूब -- बढिया है
हा हा हा -
दिगम्बर नासवा
on
September 20, 2009 at 1:33 PM
Ha ..Ha ...Ha .....
Lajawaab ..... ek se badh kar ek -
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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September 21, 2009 at 8:20 AM
बोदूराम के लतीफे बढ़िया रहे।
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Hemant Snehi
on
September 21, 2009 at 6:33 PM
बहुत अच्छे लतीफे लिखते हैं आप. बहुत-बहुत बधाई.
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Hemant Snehi
on
September 21, 2009 at 6:36 PM
बहुत अच्छे लतीफे लिखते हैं आप. बहुत-बहुत बधाई.
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