नमस्कार !
आज बारे थी बोदूराम के आर्थिक योजना के बारे में बताने का पर बोदूराम धोखा दे गए . उन्होंने कहा था कि कल बतायेगे लेकिन वीक एंड पर चले गए और रात में टुन्न होकर आये ही तो कौन पूछे इसीलिए आज आप मेरा साप्ताहिक " हँसी के रंग पंकज के संग का चौथा भाग पढिये .
पागलखाने का डॉक्टर अपनी पत्नी को कहता है- पागलों के साथ रह-रहकर मैं आधा पागल तो हो ही गया हूं।
पत्नी- कभी कोई काम पूरा भी कर लिया करो।
डॉक्टर (मरीज से)- तुम्हारे ब्रेन की एक्स-रे रिर्पोट आ गयी है।
10 ग्राम मिट्टी, 10 ग्राम कंकड पत्थर, 25 तरह के कीड़े-मकोड़े, 5 ग्राम
मकड़ी के जाले और 500 ग्राम भूसा भरा हुआ है।
मरीज- कमाल है.. मुझे लगा खाली होगा...
डॉक्टर (मरीज से)- तबीयत कैसे है अब?
मरीज (डॉक्टर से)- पहले से ज्यादा खराब है।
डॉक्टर- दवाई खा ली थी क्या?
मरीज- नही दवाई की शीशी तो भरी हुई थी।
डॉक्टर- मेरा मतलब है दवा ले ली थी?
मरीज- जी आपने दी तो मैंने ले ली थी।
डॉक्टर- बेवकूफ दवाई पी ली थी?
मरीज- नही जी दवाई तो लाल थी?
डॉक्टर- अबे गधे दवाई को पी लिया था?
मरीज- नही साहब पीलिया तो मुझे था।
डॉक्टर- अरे दवा को मुंह से लगाकर पेट में डाला था।
मरीज- नही
डॉक्टर- क्यूं
मरीज- आपने ही तो कहा था शीशी को ढक्कन लगाकर रखना।