नमस्कार मै पंकज मिश्रा एक बार फ़िर से हाजिर हुआ हु बोदूराम के कारनामे लेकर. जैसा कि आपने पछिले पोस्ट मे पढा किस तरह बोदूराम की जय-जयकार हुआ था . हां ये अलग बात है वो जय-जयकार हाथी के पागल हो जाने की वजह से हुआ था .:)
अब आगे पढिये,
बोदूराम सेनापति के पद से अवकाश लेकर घर आ चुके थे और घर पर आने के बाद विचार किया कि भले से ही हमारी जय-जयकार हो रही है , लेकिन अगर कुछ दिन और इसी तरह चला तो ये तो गांव के छोरे-कम-छीछोरे तो मेरी जान लेकर ही मानेगे .बोदूराम ने फ़ैसला किया कि ताऊजी से इस्का उपाय पुछ लू कि छोरे-कम-छिछोरो से कैसे निपटू.बस क्या था बोदूराम ने ताऊ जी को को फ़ोनिया दिया. खच खुच ,खच,खुच, खच-खुच खुच. अरे भै इस्क मतलब नम्बर डायल करना:) सामने से ताऊ की आवाज आयी - हेल्लो बोदूराम: हां ताऊजी ?
ताऊजी:अरे बावलीबूच ये तो मेरा नाम है तू अपना नाम बता .
तुझे उस बात के बारे मे पता हो या नही . अब आगे सुनिये बोदूराम के गांव वालो ने प्लान बनाया कि किसी तरह बोदूराम का गला काट दिया जाये . लेकिन गांव का कौन सा बन्दा जाये गला काटने ? मामला इसी बात पर अटका था.
तय हुआ कि गांव का नाई बाल काट्ने के बहाने जाये और बोदूराम का गला अपने छूडे से अलग कर दे. गांव का नाई कल्लन इस बात के लिये तैयार हो गया . प्लान के मुताबिक कल्लन छूडा लेकर पहुच गया बोदूराम के पास और बोला : बोदूराम जी बाल काट दू क्या आपके ?
बोदूराम ने हां मे सिर हिला दिया . कल्लन ने सोचा कि बाल तो काटना नही है काटना तो गर्दन है इसी गरज से वो छूडे को वो बारीक करने लगा . इधर बोदूराम के दिमाग मे ताऊजी की बात आ गयी कि ताऊजी ने कहा है कि कुछ ना कुछ बोलते रहना चाहिये . चलो अभी चेक कर लेते है .
बोदोराम ने कल्लन से कहा: कल्लन मै जानता हो ये छूडा तुम क्यु बारीक कर रहे हो . कल्लन के जान गले तक आ गयी कि इसको कैसे पता चल गया कि मै इसको मारने आया हू? कल्लन बोला: हूजूर माफ़ कर दो मुझे नही पता था कि तुम्हे पता है . और ये कहते हुए कल्लन अपना झोला लेकर भगने लगा
पिछे पिछे बोदूराम भागा : अरे कल्लन सुनो मै तो मजाक कर रहा था मुहे पता है तुम मेरा बाल काटने आये हो .सुनो तो सही
कल्लन : नही महराज मै वपस नही आउगा नही तो अब आप मेरा गला काट दोगे .
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