सुबह सवेरे ही बोदूराम शौच आदी क्रिया करने केलिए गंगा किनारे गया वैसे भी बोदूराम के बारे में एक बात और बता दू बोदूराम गंगा किनारे का छोरा है . अमिताभ बचन नहीं है भाई .
सामने से मधुसुदन आ रहे थे जो कि गाव के सबसे श्रेष्ट और सज्जन लोगो में गिने जाते थे और दूसरी तरफ बोदूराम इसका उलटा , पहचाना जाता था.
बोदूराम ने दूर से देखते ही बोला आइये मधुसुदन जी , कैसे हो ?
मधुसुदन ने भी स्वाभीक जवाब दिया : बस भाई ठीक हूँ . तुम बताओ बोदूराम तुम्हारा क्या हाल है .
बोदूराम बिफर पड़े : क्या बताये मधुसुदन कुछ भी अच्छा नहीं है . हर काम उलटा हो रहा है . करना कुछ चाहो हो कुछ और रहा है . तबियत नासाज़ हो गया है लेकिन हालत खस्ता नहीं हुई है .
मदुसुदन के कोई बात समझ में नहीं आ रही थी इसीलिए कुछ सकुचाते हुए बोले भाई बोदूराम माजरा क्या है आप ऐसी बहकी -बहकी बाते क्यों कर रहे हो ?
बोदूराम बोला: अरे का बताये मदुसुदन धंधा पाने सब चौपट हो गया है कोई काम धाम है .
पुस्तक लिखने का विचार आया मन में लेकिन तय नहीं कर पा रहा हु किस बात पर पुस्तक लिखू ?
मधुसुदन : अरे भाई तुम क्यों ना समाज पर हो रही बुरइयो पर उपन्यास लिखो ?
बोदूराम : अरे भैया जब समाज में इतनी अनगिनत बुराईया रोज हो रही है तो फिर फिर मेरे लिखने का क्या फायदा लोग तो उससे निपटने में ही परेशान है तो मेरा उपन्यास कौन पढेगा ?
मदुसुदन : बात तो सही है भईया तो फिर कुछ और करो , हमारे पास एक और तरकीब है .
बोदूराम : क्या ?
मदुसुदन : तुम भक्ती उपन्यास लिखो . इसको तो लोग पढ़गे .
बोदूराम : अरे नहीं भाई साहब ये भी सही नहीं है . जब सारे टी. वी चैनल पर बाबा लोग सुबग सुबह फ्री में प्रवचन बात रहे है तो मेरा धार्मिक उपन्यास कौन पढेगा .
मदुसुदन : तो फिर किसपे लिखोगे ?
बोदूराम : मै सोच रहा हु ब्लॉग पर लिखू . मैंने देखा सुबह ही अपने गाव के सरपंच जी लैपटॉप लेकर वही करते है .
मधुसुदन : अच्छा कैसाहोता है ब्लागिंग मुझे भी दिखाओ .
बोदूराम मदुसुदन को साथ लेकर घर गए और लैपटॉप चालू कर दिया पहला ब्लॉग खोला और बोला पढो .
मधुसुदन ने पढा .- **************** की बात का जवाब
मधुसुदन ने बोदूराम से पूछा कि ये सब क्या है बोदूराम बोले अरे कुछ नहीं कल तक तो सही था मामला पता नहीं आज क्या हो गया चलो दुसरे ब्लॉग पर .
अगले ब्लॉग पर , आप को हमारे ब्लॉग पर आकर हमारी बेइज्जती करने का क्या अधिकार है ?
बोदोराम बोला - लगता है यहाँ भी कुछ सही नहीं है. बोदूराम बोले भईया लग रहा है आज सब बिदेशी साईट खुल रही भारतीय नहीं क्युकी भारतीय होती तो लड़ाई नहीं होती . आप कल आना .
मधुसुदन : फिर भी ब्लागिंग में तो बहुत बेइज्जती होती है.
बोदूराम : इज्जत का क्या फिर से वापस आ जायेगी मधुसुदन जी
एक चटका यहाँ भी
7 comments:
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Himanshu Pandey
on
September 19, 2009 at 5:51 AM
गजब ! अदभुत बोदूराम !
"इज्जत का क्या फिर से वापस आ जायेगी मधुसुदन जी"- क्या कह डाला ।
प्रविष्टि का आभार । -
Udan Tashtari
on
September 19, 2009 at 5:59 AM
ये ही लेटेस्ट फैशन है. जल्दी पहचान गये. :)
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हेमन्त कुमार
on
September 19, 2009 at 6:10 AM
क्या खूब कही । आभार ।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं । -
Arvind Mishra
on
September 19, 2009 at 6:50 AM
ज्यादा इज्ज़त बनाए रखने के फेर में भी बेयिज्जतियाँ खराब हो जाती हैं -बोदूराम क्यों नहीं समझते इस बात को !
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
on
September 19, 2009 at 7:36 AM
"..... लगता है यहाँ भी कुछ सही नहीं है. बोदूराम बोले भईया लग रहा है आज सब बिदेशी साईट खुल रही भारतीय नहीं क्युकी भारतीय होती तो लड़ाई नहीं होती . आप कल आना .
मधुसुदन : फिर भी ब्लागिंग में तो बहुत बेइज्जती होती है.
बोदूराम : इज्जत का क्या फिर से वापस आ जायेगी मधुसुदन जी"
मिश्रा जी!
बहुत बढ़िया धारावाहिक चल रहा है। -
निर्मला कपिला
on
September 19, 2009 at 2:13 PM
\आप एक बार चिठा चर्चा मे उसका ब्लाग डाल दें फिर देखें बोदू राम का ब्लाग फिर कहेगा इज्जत ही बलाग लिखने मे है
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं । -
Urmi
on
September 19, 2009 at 4:07 PM
वाह ! बहुत खूब लिखा है आपने! अच्छा लगा पढ़कर!