जैसा कि आपने कल के पोस्ट में पढा था कि किस तरह बोदूराम ने पागल सांड को मारा था अब आगे किकहानी पढिये . मै आपको कल ही बताया था कि बोदूराम की इस बहादुरी को देखकर वहा के राजा श्री गुटाचू ने उसे अपने यहाँ सेनापती की नौकरी दे दी थी . बोदूराम भी खुशी खुशी उस नौकरी के लिए हाँ कर दी थे क्युकी उसके पहले दो बार मात खा चुके थे नौकरीढूढने के चक्कर में . कुछ दिन तक तो सिर्फ बोदूराम सेनापती बनाकर खाते पिते रहे क्युकी कोई काम ही नहीं था ना तो कही सेकोई युद्ध का आसरा . लेकिन कुछ ही दिन बाद गुटाचू के राज्य में पड़ोस के लोगो ने हमला बोल दिया . दोनों तरफ से युद्ध का एलान कर दिया गया . इब क्या था बोदूराम को भी रजा ने अपनी सेना तैयार करने का हुक्म दे दिया . बोदूराम भे मरता क्या ना करता सोचा मै तो खुद नहीं तैयार हूँ इनको क्या तैयार करूगा . फिर भी किसी तरह सबको तलवार बरछी चलाना सिखाया और खुद भी सीखा :) युद्ध का एलान हो चूका था दोनों तरफ से सेना तैयार हो चुकी थी बोदूराम भी अपना हाथी लेकर तैयार थे लेकिन गाँव के छोरे कम छिछोरे लोगो को ये बात पाच नहीं रही थी कि बोदूराम सेनापती हो . छिछोरे लोगो ने एक प्लान किया और बोदूराम के हाथी को धतूरा खिला दिया . धतूरा खाने के बाद हाथी पागल हो गया बोदूराम कितना संभाले हाथी लगा दौड़ने , दोनों तरफ से सेना युद्ध कर रही थी . राजा गुताची बार बार बोदूराम के बारे में पूछ रहे थे कि क्यों बोदूराम नहीं आया . इधर बोदूराम को हाथी लेकर गाँव के पुराने जंगल में चला गया और दौड़ने के चक्कर में दो पेड़ उखाड़ लिया और युद्ध के मैदान के तरफ दौड़ने लगा . विपक्ष की सेना इस तरह विशाल झाडी झुंड को देखकर अचम्भीत हो गया और पूछा भाई ये कौन है . लोगो ने बताया कि ये हमारे सेनापती है बोदूराम जी. सामने के राजा ने सोचा जब सेना इतना मजबूत है कि दो -दो पेड़ उखाड़ कर ले कर चलता है तो राजा कितना मजबूत होगा . तुंरत पड़ोस की सेना और राजा मैदान छोड़कर भाग गए . एक बार फिर बोदूराम कि जय -जयकार होने लगा . लेकिन छिछोरे लोगो नेफिर एक चाल चली बोदूराम को मरने की लेकिन ताऊ जी ने बोदूराम को ऐसा तरीका बताया कि वो निर्भीक आधी रात को भी अकेले घूमता है . जानते है क्या ? कल के पोस्ट में पढिये . चर्चा हिंदी चिट्ठो में आपका स्वागत है नमस्कार कमेन्ट करने के लिए क्लिक करे
एक चटका यहाँ भी
3 comments:
-
Udan Tashtari
on
September 4, 2009 at 6:30 AM
जय हो!!!
-
ताऊ रामपुरिया
on
September 4, 2009 at 8:31 AM
बोदूराम तो लगता है खुद ही ताऊ बन गया है?:) बहुत बढिया, लिखते रहिये. कल की पोस्ट का इंतजार करते हैं.
रामराम. -
hindustani
on
September 4, 2009 at 1:37 PM
बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारे
Post a Comment
Subscribe to:
Post Comments (Atom)