नमस्कार ,
कल से बहुत डर लग रहा है ताऊ जी ने बताया है कि हवा खराब चल रही है ,
कुछ दिन पहले चिकन गुनिया . स्वाइन फ्लू , और वायरल झेला हूँ , अब शायद मौजुलिया झेलने की बारी है . मौजुलिया उस रोग का नाम है जिसमे कोई ब्लॉगर दुसरे ब्लॉगर की मौज ले :)
इसके चलते लोग अपने प्रमुख उद्देस्य को परे कर देते है पूरा रमजान पार होने को है , नवरात्री आने को हैलेकिन इस मौजुलिया रोग ने ऐसा पैठ मारा है कि इन सब पर कोई लिखेगा ही नहीं सब तो मौज लेने में लगे है एक दुसरे की .
सब मतलब सब नहीं :)
भगवान आप सब को और हमको भी इस रोग से निजात दिलाये .
एक आदमी कार से जा रहा था ताज ,
सामने से चूहा लौटा था देखकर ताज ,
जोरदार टक्कर चूहा और कार में ,
चूहा बेहोश चारो खाने चित्त ,
आदमी उतरा कार से और चूहे को उठाया ,
चूहे को लेकर घर तक आया डाक्टर बुलवाया, दवा दिलवाया .
डाक्टर बोला इसको पिजरे में रखो जब तक ना आये होश ,
चूहा तक तक पडा था बेहोश .
कुछ देर बाद चूहा आया होश में , देखा अपने आप को पिजरे में तो बोला जोश में .
आईला क्या मेरे टक्कर से आदमी मर गया क्या ?
मुझे जीवन भर उम्र कैद कर गया क्या ?
एक चटका यहाँ भी
आईला क्या मेरे टक्कर से आदमी मर गया क्या?मुझे जीवन भर उम्र कैद कर गया क्या ?
by Mishra Pankaj | 5:00 AM in |
9 comments:
-
Arvind Mishra
on
September 17, 2009 at 5:18 AM
वाह पंकज जी आप ने भी मौज ले ही ली !
-
Himanshu Pandey
on
September 17, 2009 at 6:13 AM
सोचने का अधिकार सबको है । चूहे के अवचेतन में बसी इच्छा है यह तो । मौका तो मिलने दीजिये ।
जबर्दस्त । आभार । -
Udan Tashtari
on
September 17, 2009 at 6:28 AM
मौजुलिया और ताऊ से...ये कौन कर सकता है भई..हमें बताओ जरा, देखे उसको.
-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
on
September 17, 2009 at 7:43 AM
वाह...।
आदमी तो जीवित है, मगर इन्सान मर गया है। -
ताऊ रामपुरिया
on
September 17, 2009 at 10:53 AM
भाई सोच रहा हू मौज लेने पर केटेगरीवाईज टेक्स लगादूं.:)धंधा अच्छा चलेगा.
रामराम. -
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'
on
September 17, 2009 at 1:11 PM
बेहतरीन प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
आप का स्वागत है... -
Urmi
on
September 17, 2009 at 1:33 PM
वाह वाह क्या बात है पंकज जी! मज़ा आ गया! शानदार और ज़बरदस्त पोस्ट!
-
दिगम्बर नासवा
on
September 17, 2009 at 4:58 PM
VAAH MAJAA AA GAYA PANKAJ JI ....... UMR BHAR KI KAID DILWA DI CHOOHE KO ...
-
ओम आर्य
on
September 17, 2009 at 5:00 PM
मै हिमांशू जी के विचार से सहमत हूँ......और सच कहू तो मज़ा आ गया........सच मे कमाल करते हो आप....