नमस्कार ,
दीपावली बीत गयी, आज नया साल भी हो गया सब कुछ नया रहा नया कपडा , नया रंगरोगन, नए नए शुभकामना सन्देश सब कुछ नया लेकिन कुछ ऐसे पहलू है कि बदल नहीं रहा है वो है हमारे भारत की बेचारी बेरोजगारी ,भुखमरी और बीमारी ....
कल दीपावली को हर घर में पूजा हुआ , पटाखे छुडाए गए और मिठाइया बाटी गयी ऐसा आप कह सकते है , क्युकी आपने अपने आस-पास में यही सब देखा है ... काश आप ऐसे भी घर देखते जहा आज भी लोग भूखे सो गए , मरीज पटाखे की आवाज से परेसान था और बेरोजगार आज भी नौकारी की लालसा में दुखी सो गया......
आज हर घर में दीपावली के दीप जलाए गए और पटाखे और फ़ुल्झडिया छोडे गए लेकिन मेरे घर पर ऐसे लगभग २० लडके आये जो की देखने से निहायत ही गरीब और भूखे लग रहे थे ....
खुद तो भूखे थे लेकिन दूसरो को पैसे के लालच में दीपावली की शुभकामनाये दे रहे थे ......
सुबह कई लडके हाथ में झोला लेकर रात के फटे पटाखे में में से सही पटाखे छाट रहे थी .. ऐसे समय में बस यही याद आ रहा था कि जिस तरह हमारे घर की महिलाए दरिद्र खेदने के नाम पर टोटके करती है काश ऐसा ही कोई टोटका हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह भी करते भारत की दरिद्रता दूर करने के लिए ......
नीचे के चित्र देखिये और बताइये कैसे रही दीपावली ...?
मै तो कहता हु काहे की दीपावली , काहे का नया साल ?
आधा भारत तो भूखा ही सो गया
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