नमस्कार की जगह आदाब , ब्लॉग की जगह महफ़िल , पोस्ट की जगह मुशायरा , टिप्पणी की जगह वाह वाह !!!
बस ऐसा है हमारा आज का अंदाज़ !
तो जनाब आदाबे अर्ज़ है कि ,
महफ़िल में आ गए वो अपने नसीब से ,.... गौर फरमाइयेगा ......
महफ़िल में आ गए वो अपने नसीब से , महफ़िल में आ गए वो अपने नसीब से .
छोडिये , अगर आ ही गए है तो बैठने दीजिये ,,,,,
ये तो बस एक नज़्म था हमारे बोदूराम जी का , हुआ यु कि आज हमारे गाव में जबाबी शायरी की प्रतियोगिता थी और एन मौके पर हमारे मौलबी साहब जो कि हमारे गाव की नाक है शेरो शायरी के मामले में उनकी तबियत नासाज़ हो गयी .
अब तबियत नासाज़ हो गयी मौलबी साहब की लेकिन भुगतना पडा बोदूराम को कैसे ? अरे साहब आप शायद भूल रहे हो गाव में जब जब कोई मुसीबत आयी है बोदूराम को ही मदद के लिए बुलाया गया है , इसके पहले भी एक बार बोदूराम जे गाव की तरफ से अंगरेजी गाना गा चुके आप में से कई लोग तो पढे भी है ,जो नहीं पढ़े है यहाँ जाकर पढ़ ले ....
शायरी शुरू हुआ , सामने से नामचीन शायर अपनी शायरे पढ़ रहे थे .
पहले शायर ने खड़े होते ही बोदूराम को निशाना करके शायरी मारा .
आये हो जनाब , महफ़िल में , ये तो दिखा रहा है ,
पर मै तो पहले आपको कही देखा नहीं था
शेर सुनने आये हो शायद ? अच्छी बात है
पर सुनने वालो के लिए , बैठने का अलग इंतजाम है .
बोदूराम सन्न जवाब क्या दे , बस बोल पडा ...
ना तो तू शायर है और ना ही शायर का भतीजा है ..
ना तो तू शायर है , और ना ही शायर का भतीजा ..
तू तो सिर्फ मेरी , एक भूल का नतीजा है ....
सामने से आये हुए पहलवान मौन धारण कर लिए और निकल पड़े .
अब बारी आयी दुसरे पहलवान की मतलब शायर बाज की , जो कि अभी नयी नयी लेटेस्ट टेक्नालाजी की शायरी शुरू किये है . आते ही फायर किया .
ना तो तेरी जात है शायर की ,
ना तो तेरी औकात है शायर की ,
बोदूराम बोले , आओ मौलबी साहब सुनाते है अपनी जात पात शायर की .....
मै चाहू तो खोल दू दो मिनट में अपनी जात , दिखा सकता हु तुझे अपनी औकात ...
मगर मै ऐसा नहीं करूगा , जानता है क्यों ....
मै इज्जत नहीं करता तेरे जैसे शायर की ....
तू तो है औलाद किसी कायर की ...
उस शायर की पिछली महफ़िल में किसी से सवा जवाब में झगडा हुआ था तो बोदूराम ने दो और लाइन जोड़ दी ...
तुने बोया है बीज ऐसा जिस पर अभी तक लड़ा जा रहा है ......
तुने बोया है बीज ऐसा जिस पर अभी तक लड़ा जा रहा है ......
तेरे नाम पर जगह जगह गालियों के कसीदे पढा जा रहा है ....!
मै जो भी शेर बोलता हु , तुम उसको भी काट देते हो ..
इतना सुनना था कि वो नवा शयरबाज़ बहुत खुश हो गया ....
बोदूराम ने आगे की लाइन पढी ..
मै जो शेर बोलता हु वो तुम कट देते हो ,
मै थूक देता हु , और तुम चाट लेते हो .....
वो पहलवान भी चुप्प !!
इस तरह बोदूराम को हमारे गाव के सवाली जवाबी शायरी प्रतियोगिता में विजय प्राप्त हुई .
मै ये खबर लिख ही रहा था कि बोदूराम का मेल आया .
पंकज जी ये शेर आपके लिए इसको भी अपने ब्लॉग पर जगह दीजियेगा ...
शायरी कहना खेल नहीं है बच्चो का ...
तेल निकल जता है , अच्छे अच्छो का.............
कैसा लगा हमारा ये नवीन शायरी शौक ?