नमस्कार ,
कल अजीब घटना हो गयी हमारे यहाँ बोदूराम ने बगल के गाव के चौधरी बिरादरी के लोगो को गाली गलौज दे दिया , और वहा से चलता बने .
गाली गलौज देने के नाते चौधरी बिरादरी के कुछ नौजवान लाठिया लेकर हमारे गाव की तरफ आने लगे .
बोदूराम भागा भागा आया और सारा हाल मुझे कह सुनाया . मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए बोदूराम को घर के अन्दर छुपा लिया और ये कहकर उन सबको वापस भेज दिया कि मै बोदूराम से बात करुगा .
चौधरी विरादरी तो किसी तरह वापस चली गयी लेकिन हमारे खेमे के ही कुछ बेवकूफ नौजवान लोग मुझे भड़काने लगे ,
बोले अरे काका ऐसा क्या कर दिया बोदूराम ने , बस यही तो बोला था कि अपने औकात में रह कल का पैदाइश मेरे सामने आया है बात करने . बस यही तो बोला था बोदूराम ने .
मै बोला पर क्यों बोला था अब वो लोग भड़क रहे है उसका क्या ?
बोदूराम बोला - काका , मै तो बस यही बोला था कि अपनी औकात में रह
मै बोला - तो तुने अब उनकी औकात देख ली घर तक चढ़ आये थे लाठी लेकर , अब देख औकात और दिखा औकात .
चौधरी बिरादरी ने पंचायत बुलाया , मै भी गया
पंचायत बैठी लोगो ने बोला कि बोदूराम को बुलाया जाय , अमी बताया कि बोदूराम के पेट में दर्द है इसीलिए नहीं आया मै आया हु उसकी तरफ से .
पंचायत ने अपनी बात रखी, मै भी सफाई देने के लिए खडा हुआ . मै बोला - बोदूराम को माफ़ किया जाय बच्चा है नादाँ है बेवकूफ है . वह पिछले १० साल से गाव में रहता है .
चौधरी बिरादरी के एक बुद्धे खड़े हुए और बोले - तो क्या हुआ हम तो यहाँ ८० साल से रह रहे है उसने गाली कैसे दी ?
मुझे बोदूराम से हिसाब चाहिए , जब तक माफी नहीं मागेगा , हम मानाने वाले नहीं है .
मै भी सोचा ये लोग हमारा कर ही क्या सकते है अतः बोल दिया कर लो जो करना हो बोदूराम माफी नहीं मागेगा .
तो ठीक है आज के बाद जो भी चौधरी विरादरी का आदमी आपके गाव के तरफ से जाएगा हर रोज यहाँ पंचायत भवन पर आकर बोदूराम को दो गाली देकर जाएगा , तुम्हे जो करना हो कर लेना .
मै चक्कर में पद गया लेकिन किया क्या जा सकता था , किसी तरह वहा से जान बचाकर भागा .
घर आया और टूट पडा बोदूराम पर लगा मारने लेकिन कही से मेघू प्रसाद आ गए और बोले कि मत मारो काका इसने क्या गलत किया है वो साले चौधरी बिरादरी वाले है हे ऐसे उन्हें क्या पडी थी गाव छोड़कर दुसरे गाव में जाकर रामलीला देखने की , मेढक है तो कुए में ही रहना चाहिए समुन्द्र में आने का ख्वाब नहीं देखना चाहिए .
मेरा मन हो रहा था खीच कर मारू दो हाथ बोदूराम को और चार हाथ मेघू प्रसाद को ,ऐसे घटिया प्रवचन के लिए .
मै तुंरत निश्चय किया और बोदूराम को लेकर पहुच गया पंचायत ,पंच के सामने माफी मगवाया और मामला रफा दफा किया .
आज मेरा बोदूराम और चौधरी विरादरी का गाव एक दुसरे से मेल मिलाप से रहते है .
हिल मिल कर रहिये यही कामना है !!!
एक चटका यहाँ भी
11 comments:
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
on
October 6, 2009 at 4:44 PM
वाह....वाह.....।
आपने बोदूराम के माध्यम से अच्छी सीख दी है।
बधाई! -
डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)
on
October 6, 2009 at 7:16 PM
hmmm..bahut achchi seekh de di ........... isse .........
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शरद कोकास
on
October 6, 2009 at 10:03 PM
यह तो बोध कथा है वाह
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Udan Tashtari
on
October 7, 2009 at 5:49 AM
बोदूराम अच्छी सीख दे गये. आभार.
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vijay kumar sappatti
on
October 7, 2009 at 2:32 PM
pankaj ji
namaskar
aapki choti si katha me badhi si seekh hai .
aur bahut saarthak baat kah di hai aapne ki mil jul kar rahne me hi hum sab ki bhalaayi hai.
meri badhai sweekar kare..
dhanywad
vijay
www.poemofvijay.blogspot.com -
दिगम्बर नासवा
on
October 8, 2009 at 12:00 AM
बोदू राम कितना कुछ सिखा गया ....... सुन्दर तरीका है आपका बात रखने का .......
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निर्मला कपिला
on
October 8, 2009 at 9:34 AM
बहुत खूब सच मे ये बोध कथा ही है बधाई
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Chandan Kumar Jha
on
October 8, 2009 at 1:12 PM
अरे वाह यह बोदू राम तो कमाल की चीज है । बहुत सुन्दर ।
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rajiv
on
October 8, 2009 at 1:43 PM
Logon ko ye seedhi sadhi baat samajh ajaye to bahut sare kasht apne aap door ho jayenge
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Rajeysha
on
October 8, 2009 at 2:18 PM
गाली गलौज देने के नाते चौधरी बिरादरी के कुछ नौजवान लाठिया लेकर हमारे गाव की तरफ आने लगे .........
गाली गलौज का नाता, बहुत खूब। -
Rakesh Singh - राकेश सिंह
on
October 8, 2009 at 8:48 PM
सही है ...