नमस्कार ,
मै पंकज आज के इस हँसी के रंग , पंकज के संग में.
आज बात हो रही है मजबूतीरम नेता जी की नेताजी अपने कार से जा रहे थे साथ में बीबी भी थी .
नेता जी बोले - प्रियतमे , कार का कांच खोल दू गर्मी बहुत लग रही है .
पत्नी बोली - खबरदार जो कांच खोला तो , एक तो वैसे हे पडोसी शक करते है कि नेताजी के कार में ए सी नहीं है है
नेताजी सभा स्थल पर पहुच गए सामने से २ लोग आकर नेताजी को हार पहना दिए नेताजी ने हार देखा और बोला कि यहाँ के प्रबंधक को बुलाओ .
प्रबंधक आया नेताजी ने दो हाथ लगाय और बोला-
अबे साले मै पुरे १० हार के पैसे दिया था और ये तू सिर्फ दो हार मगवाया ?
और बंद के पैसे में ये तुदतुडी मगवाया !!!
अब आज का नमस्कार , आपका आने वाला सप्ताह शुभ हो और भगवान करे ब्लागजगत के ब्लागर सेफ रहे .
एक चटका यहाँ भी
5 comments:
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Arvind Mishra
on
October 4, 2009 at 9:03 AM
हे हे हे हे ...
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दिगम्बर नासवा
on
October 4, 2009 at 2:32 PM
BAHOOT KHOOB ..... NETA JI KO THAGNA ITNA AASAAN NAHI ...
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Urmi
on
October 5, 2009 at 6:22 AM
वाह बड़ा ही मज़ेदार किस्सा सुनाया आपने ! बहुत अच्छा लगा! सही में ये हकीकत है और ऐसा ही होता है नेता के साथ!
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
on
October 5, 2009 at 7:22 AM
खूब लपेटा है नेता जी को।
हा....हा....हा....! -
अशरफुल निशा
on
October 5, 2009 at 1:22 PM
आपका भी दिन शुभ हो और सक्रिय ब्लॉगिंग होती रहे।
Think Scientific Act Scientific
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