अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

आप सभी को बोदूराम नेता का राम राम !

अब आप ये सोच रहे है की बोदूराम नेता कब से हो गया चलो बताई देते है हुआ ये किकल बोदूराम जी एक स्कूल में झंडारोहणके लिए बुलाये गए थे तो बोदूराम ने सोचा कि क्यों ना मै लगे हाथो अपने चुनाव का प्रचार भी कर दू बस तब से बोदूराम नेता बोदूराम हो गए ।

अब आगे सुनिए नेता जी को बुलाया गया तो बोदूराम के दिमाग में आया कि क्यों ना हम एकदम से देश प्रेमी दिखे बस क्या था परसों ही उन्होंने दरजी से कहकर तिरंगे कलर की कुरता धोती बनियान और चड्डी भी तिरंगे की सिल्वा लिया था ।
अब बोदूराम जी पहुच गए मंच पर और बोले दोस्तों , साथियों प्रेमियों मैसम्पूर्ण रूप से देश प्रेमी हु इसका प्रमाण सभा के अंत में दूगा । पर पहले मै आपको एक बात बता दू अगले चुनाव में मै आपके छेत्र से निर्दलीय प्रत्यासी के रूप में आ रहा हु ।
मै आप के लिए बिजली पानी आदि की ब्यस्था करुगा , ये मेरा वादा है ।
सबसे पहली आप लोगो के आने जाने कि समस्या को ख़त्म करूगा गाँव के नदी के ऊपर पुल बनावाउगा ।
भीड़ में से आवाज आयी पर नेताजी यहाँ तो नदी है ही नही ?
बोदूराम बोले -कोई बात नही पहले नदी शिफ्ट करुगा ।
अब अगली बात सुनिए मै पुरी तरह देश प्रेमी हु भरोसा नही होता ये देखिये मेरी धोती तिरंगे की
ये देखिये मेरा कुर्ता तिरंगे का
ये देखिये मेरा बनियान तिरंगे की
और तो और ये देखिये मेरी चड्डी तिरंगे की और बोदूराम ने धोती खोल दी
पर चड्डी पहनना भूल गए थे बोदूराम जी :) :) :(

आपका सप्ताह सुभ हो !!!

4 comments:

  1. Arvind Mishra on August 16, 2009 at 5:07 PM

    हा हा पूरी तरह से तौआ (ताऊ प्रभाव ) गए हैं !

     
  2. ताऊ रामपुरिया on August 17, 2009 at 9:33 AM

    आखिर बोदूराम ताऊ युनिवर्सीटी से दिक्षा लेकर आया है.:)बहुत जोरदार ...

    रामराम.

     
  3. दिगम्बर नासवा on August 17, 2009 at 12:45 PM

    boduraam ने तो देश के सही haalaat की chitran saakshaat कर दिया सब के saamne.........

     
  4. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on August 17, 2009 at 4:55 PM

    लगे रहो भइया।
    कभी तो दीन-दयाल के भनक पड़ेगी कान।

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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