अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार ,
मै पंकज आज के इस हँसी के रंग , पंकज के संग में.
आज बात हो रही है मजबूतीरम नेता जी की नेताजी अपने कार से जा रहे थे साथ में बीबी भी थी .
नेता जी बोले - प्रियतमे , कार का कांच खोल दू गर्मी बहुत लग रही है .
पत्नी बोली - खबरदार जो कांच खोला तो , एक तो वैसे हे पडोसी शक करते है कि नेताजी के कार में सी नहीं है है

http://www.larj.biz/images/fun.gif
नेताजी सभा स्थल पर पहुच गए सामने से लोग आकर नेताजी को हार पहना दिए नेताजी ने हार देखा और बोला कि यहाँ के प्रबंधक को बुलाओ .
प्रबंधक आया नेताजी ने दो हाथ लगाय और बोला-
अबे साले मै पुरे १० हार के पैसे दिया था और ये तू सिर्फ दो हार मगवाया ?
और बंद के पैसे में ये तुदतुडी मगवाया !!!

अब आज का नमस्कार , आपका आने वाला सप्ताह शुभ हो और भगवान करे ब्लागजगत के ब्लागर सेफ रहे .

5 comments:

  1. Arvind Mishra on October 4, 2009 at 9:03 AM

    हे हे हे हे ...

     
  2. दिगम्बर नासवा on October 4, 2009 at 2:32 PM

    BAHOOT KHOOB ..... NETA JI KO THAGNA ITNA AASAAN NAHI ...

     
  3. Urmi on October 5, 2009 at 6:22 AM

    वाह बड़ा ही मज़ेदार किस्सा सुनाया आपने ! बहुत अच्छा लगा! सही में ये हकीकत है और ऐसा ही होता है नेता के साथ!

     
  4. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on October 5, 2009 at 7:22 AM

    खूब लपेटा है नेता जी को।

    हा....हा....हा....!

     
  5. अशरफुल निशा on October 5, 2009 at 1:22 PM

    आपका भी दिन शुभ हो और सक्रिय ब्लॉगिंग होती रहे।
    Think Scientific Act Scientific

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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