नमस्कार ...पंकज मिश्रा आपके साथ ...काफी दिनों से कूछ लिख नहीं पाया इस ब्लाग पर ..आज कोशीश कर रहा हु देखिये..
हुआ युं कि मै छुट्टी में घर गया था और वहा पर छुटी का मौज लिया अब यहाँ आकर काम का बोझ ..बाप रे बाप! चलिए आपको बोदूराम के कारनामो से परिचय करवाते है ..
हमारे गाव में एक साहूकार है, नाम है सोहन सेठ ..हुआ यु कि सोहन सेठ के पिताजी की मृत्यु हुए एक साल हो गया था ..मृत्यु के समय में भी होने वाले भोज में सोहन सेठ ने अपने कंजूसी का भरपूर परिचय दिया था .....खाना खिलाने में कटौती कर दी थी. और दान दक्षिणा में तो बिलकुल रूचि नहीं दिखाई थी..
साल भर बीतने के बाद गाव वालो ने कहा कि सेठ अपने पिताजी को गया पहुचा आओ ...गया बिहार में पड़ता है और हमारे यहाँ कि ऐसी मान्यता है कि अगर मृतक के सम्बन्ध का कोई गया जाकर मृतक के नाम का पिंड दान करे तो मृतक की आत्मा को शांति मिलती है ..खैर सोहन सेठ ने भी गया जाने का निर्णय ले ही लिया .
सोहन सेठ गया में पहुच भी गए ..जो भी पंडित सोहन सेठ के पास क्रिया कर्म करवाने आता ...सोहन सेठ पहले दाम पूछते ..दाम के मोल भाव में बात नहीं बनी... शाम होने को आ गयी तभी सामने से बोदूराम पंडित आते दिखाए दिए ...
बोदूराम ने आते ही अपना परिचय दिया -नमस्कार जजमान ..मै यहाँ का पंडित ..क्रिया कर्म विशेषज्ञ ...सरकारी मान्यता प्राप्त हु. मेरे द्वारा किर्या करम करवाने से अच्छे अच्छे पापी आज स्वर्ग में बैठे नर्तकी नृत्य का रसपान कर रहे है ..इन्द्र के समक्ष बैठकर वहां के राज काज में योगदान कर रहे है .मै इस तरह से कर्म कराता हु कि भगवान के पास उसका कोई काट नहीं होता सिवाय मृतक आत्मा को स्वर्ग देने के !!!
सोहन सेठ ने जब ये बातें सुनी तो उन्हें लगा कि अगर यह पंडित इतना बड़ा ज्ञाता है तो इसका रेट (दाम) भी ज्यादा होगा अतः इससे बात ना करू ...सोहन सेठ बोले कि महाराज मुझे कोई कर्म नहीं करवाना है ..
बोदूराम पंडित ताड़ गया कि सेठ तो रुपिया के लालच में मना कर रहा है अतः बोले - जजमान आपने मेरी पूरी बात तो सुनी नहीं ...और मैं ये सब क्रिया कर्म करवाने की दक्षिणा सिर्फ ११ रुपये ही लेता हूं .!!
अब तो सोहन सेठ को मुंह मागी मुराद मिल गयी ...और तुरंत तैयार हो गए...क्रिया कर्म संपन्न हुआ तो सोहन सेठ ने बोदूराम को ११ रुपये देकर चरण स्पर्श कर चलना चाहा ...तो बोदूराम ने कहा - जजमान एक बात और है मेरे कर्म कराने के बाद कर्म करवाने वाला व्यक्ति शरीर पर जो कुछ भी धारण किया है उसे देना पड़ता है नहीं तो आगे शनिचर को उसका मौत हो जाता है...सोहन सेठ को तो करंट लग गया करे तो क्या करे?
अंततः सेठ के द्वारा शरीर पर पहने हुये सोने की चन , हीरे की अंगूठी, कडा और और सारे कपडे, यहां तक की अंडरवीयर भी उतरवा लिया ..कुल मिलाकर लगभग १ लाख तक का सामन ऐंठ लिया और सेठ से बोले -
बोलो बेटा पंडित बोदूराम की जय!
सेठ बेडे दबे मन से कहा - पंडित बोदूराम की जय!!!