नमस्कार….आज खाना खाते समय एक फ़िल्म मे एक गुंगे व्यक्ति का रोल देखा ..वैसे तो वह कामेडी कर रहा थे और सब हस -हस कर लोट-पोट हो रहे थे !
लेकिन अचानक मुझे यह बात ध्यान मे आ गयी कि यह तो एक कलाकार है जो गुंगे का रोल कर रहा है …इस समाज मे कितने गुंगे-बहरे अन्धे पडे हुए है उनको तो ऐसा कला करने का ना तो पैसा मिलता है और ना ही मै चाहता हु कि उनको कभी इस तरह की कोई कला करने की जरूरत है…भगवान अगर उनको कलाकार बना सकता तो गुंगा क्यु बनाता
अब तो मन मे यह आता है कि हम सब तो अपनी बातों को एक दुसरे से कह कर अपने मन को शान्त कर लेते है,,पर ऐसे लोग बेचारे भला वो क्या करते होगे?
कैसे अपने मन को कोई मना सकता है..कैसे किसी वस्तु बिषय के बारे मे बात करते होगे ये गुंगे …क्य हमारी सरकार ..और सरकार तो छोडिये हम खुद क्य करते है उनके लिये?
अन्धा होना , गुंगा बहरा होना एक अभिशाप है मानता हु या नही ..ये मत पुछिये लेकिन इतना जरुर जानता हु कि इनकी मदद करना हमारे लिये आशिर्वाद है हमे मिलेगा .
अगर आप इनकी मदद करेगे तो वाकई आप का दिल आप को सराहेगा और दुनिया मे मै उसी काम को सबसे अच्छा मानता हु जिसे करने के बाद समाज के साथ-साथ खुद का दिल भी कहे कि हां आज हमने ये बहुत अच्छा काम किया है….
रही बात समाज कि तो अकेले समाज के सराहने से कुछ नही होता ….क्युकि समाज मे कई तरह के लोग है शायद आप जिस काम को अच्छा मानते हो उसी को समाज का एक हिस्सा खराब बता दे…कभी समय मिले तो हमारे बातों पर गौर फ़रमाईयेगा
क्या कभी सोचा है आपने ऐसे लोगो के बारे में सोचिये और भरोसा है जिस दिन सोचेगे मेरी तरह सामने रखा निवाला भी अन्दर नही ले पायेगें
नमस्कार