बोदूराम ने नया चाइना मोबाइल लिया ...उसमे गाने तो डलवाया ही था लेकिन एक दिन मोबाइल पर प्रचार आया कि अब करिए अपने कालर्स को प्रभावित ...सुनाइये उनको गाने ..और बनाइये अपना ...
बोदूराम ने भी एक गाना चुना ......भीगे होठ तेरे ...प्यासा मन मेरा ...लगे तन मेरा ...
जो भी बोदूराम को फ़ोन करता ..यही गाना सुनाई देता ...एक दिन बोदूराम के पिताजी अपने हमउम्र दोस्तों के साथ बैठे थे ....अचानक उनको किसी काम की याद आयी और उन्होंने फ़ोन किया ....तो सामने से बोदूराम के मोबाइल पर गाना बजा ...भीगे होठ तेरे ..प्यासा मन मेरा .......
बोदूराम के पिताजी का उनके दोस्तों ने खूब मजाक उडाया ..बोले अरे वाह जनाब आपका बच्चा तो आपको अच्छा सन्देश सुनाया ..पर तुम्हारा होठ तो सुखा है भाई ...हा हा हा हा हा हा हा ,,,,,,
बोदूराम के पिताजी खून के घुट पीकर रह गए घर आये और आते ही बोदूराम को दो लट्ठ लगाकार स्वागत किया ...
बोदूराम ने कारण पूछा तो पिताजी बोले....मेरा होठ सुखा है और तुम मुझे भीगे होठ तेरे गाना सूना रहे हो .....बोदूराम को लट्ठ के साथ ही आत्म ज्ञान आ गया और तुंरत उसने अपना गाना बदल दिया और नया गाना लगा दिया ....ये तो सच है कि भगवान् है .......धरती पे रूप माँ बाप का ...ये बिधाता की पहचान है ....
अब बोदूराम के पिताजी बिना किसी वजह के ही अपने दोस्तों के सामने फ़ोन लगवाते और कहते ...सुन लो हमारा बेटा है .....बिलकुल श्रवन कुमार है .....
उधर बोदूराम की गर्लफ्रेंड भीगे होठ तेरे वाला गाना अपने सहेलियों को सुनाना चाहती थी और जैसे ही बोदूराम को फ़ोन लगाया ..यही गाना आया .....ये तो सच है कि भगवान् है .....धरती पे रूप माँ बाप का .......
बोदूराम की गर्लफ्रेंड नाराज हो गयी और बोदूराम को फ़ोन करके खूब जमकर महाभारत सूना दी ...
बोदूराम परेशान हो गया एक तरफ बाप से लट्ठ तो दूसरी तरफ गर्लफ्रेंड से गाली ....
बोदूराम को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था सामने से ट्रेन आ रही थी ......बोदूराम ने छलांग लगा दी और जाते जाते अपने मोबाईल में ये गाना लगवा गया ....जिंदा हु मै ...जिंदा हु मै ......
एक चटका यहाँ भी
15 comments:
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Arvind Mishra
on
November 4, 2009 at 5:06 PM
च च च बहुत बुरा हुआ
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शरद कोकास
on
November 4, 2009 at 5:22 PM
गनीमत की गाड़ी से विशल की जगह यह आवाज़ नही आ रही थी " गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है "
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दिगम्बर नासवा
on
November 4, 2009 at 5:26 PM
अब बोदू राम का मोबाइल बोल रहा होगा .... " ये कहाँ आ गए हम ....."
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ताऊ रामपुरिया
on
November 4, 2009 at 7:23 PM
सही कहा है दुसरो की फ़िकर उतनी ही करिये जितनी जरुरी हो. वर्ना बोदूराम वाला हाल पक्का है.
रामराम. -
Syed
on
November 4, 2009 at 7:36 PM
बेचारा बोदूराम :(
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डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)
on
November 4, 2009 at 7:49 PM
ch ch ch ch ch ch ch .......bechara boduram........ phir phans gaya .....
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ghughutibasuti
on
November 4, 2009 at 7:52 PM
हाहा! बेचारा बोदूराम!
घुघूती बासूती -
Rakesh Singh - राकेश सिंह
on
November 4, 2009 at 9:31 PM
सहानुभूति है ... बोदुराम से .... | बेचारा क्या करता ....
सुन्दर प्रस्तितु | -
हितेष
on
November 4, 2009 at 10:13 PM
bahut badiya.. bahut dino baad kuch badhiya padhne ko mila ..
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
on
November 4, 2009 at 10:20 PM
भाई बोदूराम!
इतने पंगे मत लिया करो। -
राज भाटिय़ा
on
November 4, 2009 at 11:00 PM
बोदू राम बेचारा
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पी.सी.गोदियाल "परचेत"
on
November 5, 2009 at 9:14 AM
मजेदार पंकज जी , आपका लेख पढ़कर अभी दो साल पुराणी बात याद आ गई ! एक रिश्तेदार की शेड में देहरादून गया था ! जिस दिन बारात निकलनी थी, दुल्हे के मामा किसे वजह से नहीं पहुँच पाए थे ! वजह जानने के लिए दुल्हे ने मामा के मोबाइल पर फोन लगाया तो, उधर से हेलो टन कानो में पडी " तुझे दुल्हा किसने बनाया भूतनी के " ha-haa-ha ....सच में ये मोबाईल भी न
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Anil Pusadkar
on
November 5, 2009 at 10:47 AM
बेचारा कालर ट्यून का मारा।
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Ambarish
on
November 5, 2009 at 11:49 AM
simple solution hai.. have two mobile phones.. :)
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डॉ० डंडा लखनवी
on
November 17, 2009 at 4:52 PM
हाय ये कालर ट्युन" को पढ कर बडा रोचक एह्सास हुआ !बधाई !