अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , मै बोदूराम ..ताऊ पाठशाला का सबसे होनहार छात्र..
आज कल पंकज मिश्रा को तो फुरसत है नहीं तो सोचा क्यों न मै ही अलख जगा दू ..बस ज्यादा समय नहीं लूगा .दो चार जोक मारुगा ,उतने में अप मर गए तो ठीक नहीं तो नमस्ते बोलकर खिसक जाउगा :)
चलिए बताते है पप्पू के कारनामे

कालेज में पप्पू को एक मैडम से प्यार हो गया
सारे कालेज में हाहाकार मच गया
कक्षा  के सारे बच्चे उदास हो गए ...
क्यूकी कालेज के सारे बच्चे फेल. पप्पू अकेला पास हो गया !!


अब दूसरी बात यह है कि-
एक शराबी हर रोज एक पैग लगाने के बाद मंदिर में  शिव जी के दर्शन करने जाता था . एक दिन पुजारी जी को शरारत सूझी और उन्होंने मंदिर में शंकर जी की जगह गणेश जी की फोटो लगा दी ..
शराबी आया और रोज की भाती पूजा पाठ किया और जाते-जाते गणेश जी से बोला
छोटू पापा आये तो बोलना अंकल आये थे !

अब बात शंकर जी की चल रही है तो एक और बात सुन लीजिये .
हुआ यु कि मुझे गिटार बजाने का बहुत शौक है और एक बार मै गिटार पाने के लिए शंकर जी की प्रार्थना कर रहा था .शंकर जी प्रकट हुए और बोले-
बोल बेटा बोदूराम क्या मागता है ?
मै बोला -महाराज, मुझे गिटार दिलवा दो..
शंकर जी मुस्कुराए और बोले .बेटा बोदूराम काहे मजाक करता है  ?
अरे अगर मै गिटार तुझे दे सकता तो आज तक क्यों ये डमरू से काम चलाता पहले अपने लिए नहीं ले लेता !


जैसा कि मै पहले ही कह चुका था कि अगर आप सब को मजा नहीं भी आएगा तो भी मै नमस्ते कहके खिसक लूगा तो लो जी
अब बोदूराम की तरफ से सबको नमस्ते





11 comments:

  1. Udan Tashtari on January 11, 2010 at 6:14 PM

    हा हा!! तीनों मजेदार...वाह रे बोदूराम!! और आना!!

     
  2. डॉ. मनोज मिश्र on January 11, 2010 at 6:51 PM

    अब बोदूराम की तरफ से सबको नमस्ते.........नमस्ते जी.

     
  3. ब्लॉ.ललित शर्मा on January 11, 2010 at 8:00 PM

    भैया बोदु राम जी आपने हमे मेरा नाम जोकर का सीन याद दिला दिया-जिस्मे पप्पु (ॠषि कपुर) को मेडम से प्यार हो जाता है।

     
  4. राज भाटिय़ा on January 11, 2010 at 10:05 PM

    राम राम बोदू भाई

     
  5. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on January 11, 2010 at 10:11 PM

    पोस्ट पढ़कर आनन्द आ गया!

     
  6. Anonymous on January 12, 2010 at 7:48 AM

    What an idea sir Ji

     
  7. पी.सी.गोदियाल "परचेत" on January 12, 2010 at 12:08 PM

    Ha-ha-ha-ha-ha...!

     
  8. दिगम्बर नासवा on January 12, 2010 at 12:23 PM

    भाई मज़ा आ गया ......... अच्छे हैं सब चुटकले आपके .........

     
  9. शरद कोकास on January 13, 2010 at 4:06 PM

    हमे तो मज़ा आया ।

     
  10. निर्मला कपिला on January 15, 2010 at 8:47 PM

    हुत दिन बाद आयी बोदु राम से मिलने ये वैसा का वैसा ही रहा शुभकामनायें वैसे पोस्ट बहुत अच्छी लगी

     
  11. निर्मला कपिला on January 22, 2010 at 6:01 PM

    हा हा लाजवाब बोदू राम की जै हो

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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