अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , जी बोदूराम हाजीर है आज फिर लेकर अपनी शेरो -शायरी की रिपोर्ट ,
हुआ यु की जबसे बोदूराम ने जवाबी शायरी प्रतियोगीता
जीता है पाँव तो जमीन पर है लेकिन मन आसमान में ही विचरण कर रहा है , मुझसे बात करते करते ही वो ट्विट्टर की तरह रिपोर्ट देने लगते है अपने कारनामो की , और मै मरता क्या ना करता , सुन लेता हु आप सबको बताने के लिए ..............


बोदूराम जबसे शायरी में लगे है भाषा भी बदल गयी है , आते ही बोले - अमां मिया पंकज भाई , कैसे है मिजाज .
मै भी उसी लहजे में बोला -
बस ठीक ठाक है जनाब
बोदूराम - अमां तुमने हमारी शायरी वाली बात नहीं सुनी क्या ?


मै बोला - नहीं भाई बोदूराम , बताओ तो सही
yellow_number_2_pencil_with_an_eraser_cartoon_character_talking_to_a_business_manबोदूराम - अमां का बताये पंकज भाई , जबसे अपने गाँव में प्रतियोगिता जीती है सांस नई लेने पा रहा हु .
मै बोला - काहे बोदूराम भाई , कौनो बीमारी है का ?
बोदूराम - अरे नहीं अमां , फुरसत नहीं है ,


मै बोला - अच्छा अच्छा
बोदूराम - कल गया था मौलबी के साथ , मौलबी साहब बोले बेटा बोदूराम , आज भी हमारे पेट में दरद है त थोडा तुम्ही रंग जमा दो ....


सामने वही पाहिले जो हारा था उसका ही एक साथी और वो दोनों थे ........मै तो जाकर बैठ गया ,शामियाने पर और दबा लिया बनारसी पान , और बोल दिया की पाहिले शुरुआत आप ही लोग करे ...........
मै बोला - फिर क्या हुआ बोदूराम जी ?


बोदूराम - अमां होना का था , गर्लफ्रेंड रखने वाले लगते थे , वही शेर मार दिए


चांदनी चाँद से होती है सितारों से नहीं , मोहब्बत एक से होती है हजारो से नहीं


बस का था हम भी इतजार किये बैठे थे जैसे ही अंतिम लाइन ख़तम हुआ , हम शुरू हो गए ......और बोले ......


अमां , चांदनी चाँद से होगी तो सितारों का क्या होगा ?
मोहब्बत एक से होगी तो हजारो का क्या होगा ?


फिर उसने दूसरा शेर मारा -


सच्चाई छुप नहीं सकती , बनावट के उसूलो से , खुशबू आ नहीं सकती , कही कागज़ के फूलो से !!



और ये शेर उसने मौलबी साहब को निशाना करके मारा था , मौलबी साहब थोडा सचेत हुए तो मै बोला , मौलबी साहब आप आराम करे , अभी हम जिंदा है .......


मै भी पलटवार शेर मारा --


सच्चाई छुप सकती है , अगर आपस में मेल हो ..
खुशबू आ सकती है, अगर कागज़ में तेल हो !!!


पंकज जी आपसे बता रहे है इतना सुनते ही पूरा महफ़िल तालियों से गुज उठा ...अब वो बागड़ बिल्ला शायर ने एक भारी शेर मारा और बोला ..


हमें तो अपनो ने लूटा , गैरो में कहा दम था
मेरी किस्ती वहा डूबी, जहां पानी कम था .....


लेकिन मै तुंरत जवाब दिया -


अबे तू तो पहले से ही बेवकूफ था , तेरी बातो में कहा दम था .
वहा क्या करने गया था , जहां पानी कम था ....


इस तरह पंकज जी मै शायरी प्रतोयोगीता जीता , कैसा लगा ?
मै बोला अभी नहीं बताउगा , जब पाठक लोग बातायेगे तब बताउगा .........
अब आप बताइये कैसा लगा ........
(यह पोस्ट सिर्फ हँसी के लिए लिखी गयी है , अगर किसी भी प्रकार के अमर्यादित शब्द दिख रहे हो तो कृपया मुझे बताये )



18 comments:

  1. दिगम्बर नासवा on October 21, 2009 at 3:46 PM

    पंकज जी .... आज तो शायरी ने धमाल कर दिया ......... धोती फाड़ कर रुमाल कर दिया ......... हम तो इधर उधर भटक रहे थे .......... बोदू राम ने कमाल कर दिया . ...

     
  2. पी.सी.गोदियाल "परचेत" on October 21, 2009 at 3:53 PM

    अबे तू तो पहले से ही बेवकूफ था , तेरी बातो में कहा दम था .
    वहा क्या करने गया था , जहां पानी कम था ....

    बहुत खूब,

    चलो इसी खुशी में एक घिसा पिटा शेर मैं भी मार देता हूँ ;

    दूर से देखा तो संतरा था
    पास जाके देखा तो भी संतरा था
    खाके देखा, तो भी संतरा ही था
    वाह-वाह क्या संतरा था !!

     
  3. ताऊ रामपुरिया on October 21, 2009 at 4:34 PM

    बोदूराम - अमां होना का था , गर्लफ्रेंड रखने वाले लगते थे , वही शेर मार दिए

    लगता है बोदूराम जी की नजर बहुत ही ताडू किस्म की है? कितना सटीक पहच
    ान कर लेते हैं?:)

    रामराम.

     
  4. ओम आर्य on October 21, 2009 at 4:35 PM

    pankaj ji
    aaj to aap dhamal kar rahe ho .....bahut hi badhiya lagi aapaki lekhani se nikhali yah rachana.badhaai

     
  5. Science Bloggers Association on October 21, 2009 at 4:43 PM

    बहुत बढिया रिपोर्ट बनाई है आपने, संक्षिप्त और सार्थक।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

     
  6. Udan Tashtari on October 21, 2009 at 5:10 PM

    बोदू राम तो भाई सात में रखने लायक बंदा है..जी फोड़ शाईर.. :)

    मजा आ गया...

     
  7. राज भाटिय़ा on October 21, 2009 at 5:20 PM

    बोदूराम भाई बहुत मजेदार ..... क्या बात है.आप ने तो पेट मे दर्द कर दिया..
    धन्यवाद

     
  8. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on October 21, 2009 at 5:33 PM

    गल्ती से ये टिप्पणी
    आपकी दूसरी पोस्ट पर कर दी गई।
    sorry.
    वाह.....बोदूराम जी वाह.........।
    नहले पर दहलाष
    सौ सुनार की और एक लुहार की।
    पोस्ट में मजा आ गया।
    बधाई!

     
  9. Rakesh Singh - राकेश सिंह on October 21, 2009 at 8:39 PM

    बोदुराम की शायरी तो जबरदस्त है ....

    बिलकुल झक्कास ...

     
  10. निर्मला कपिला on October 21, 2009 at 9:52 PM

    बोदू उस्ताद को सलाम ये तो सब से बडे शायर निकले। हम तो यूँही इधर उधर शायरी सीखने के लिये भटक रहे हैं अपना बोदू राम ही सही है शुभकामनायें

     
  11. नीलिमा सुखीजा अरोड़ा on October 22, 2009 at 2:57 PM

    वाह भई वाह क्या शेर मारे हैं आपने

     
  12. रश्मि प्रभा... on October 22, 2009 at 9:06 PM

    waah.....bahut badhiyaa

     
  13. हरकीरत ' हीर' on October 22, 2009 at 9:47 PM

    वाह जी पंकज जी आप इस बोटू राम को कब पकड़ कर लाये हमें तो पता ही नहीं चला ....!!

    और यहाँ तो धोती फाड़ कर रुमाल भी सी दिया गया है ....गोदियाल जी हमने भी दूर से देखा तो पत्थर था ....पास जाकर देखा तो भी पत्थर ही था ....छूकर देखा तो भी पत्थर ही था ......!!

     
  14. योगेन्द्र मौदगिल on October 23, 2009 at 5:43 AM

    जय हो.... इसे कहते हैं सरल और सहज हास्य... साधुवाद...

     
  15. Urmi on October 23, 2009 at 8:05 AM

    वाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया लगा आपका ये शानदार पोस्ट!

     
  16. Arshia Ali on October 26, 2009 at 5:28 PM

    जबरदस्त शेरो शायरी का मुजाहरा हुआ है।
    वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।

     
  17. satyendra on October 29, 2009 at 1:13 PM

    Very nice humer.

     
  18. डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) on October 30, 2009 at 12:00 AM

    hahahahah.....aaj to bouram ko padh ke aur unki shayari dekh ke maza aa gaya.....

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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