अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , आज बात कर रहा हु पते , मतलब पते की बात !
आप को कैसा लगेगा अगर आप के ऊपर कोई उंगली उठाये और आप ब्लॉगर को गलत बताये , बताइये कैसा महसूस करेगे  आप, जब कोई आप को  ये कहे  की  आप ऐसे ब्लॉगर है जो कि किसी के मौत की खबर पर भी शुभकामनाये देते है  ..?
जी हां बात कर रहा हु ब्लॉगर अनुराग आर्य की इन्होने एक जगह ये कमेन्ट दिया है कि आप ऐसे लोगो को क्या कहेगे जो की गौतम राजरिशी के गोली लगने  के बाद भी मेरे यहाँ दशहरा की शुभकामनाये दे कर चले आते है .......और ये बात इन्होने किस लहजे मेंकहा है आप खुद देखिये ..
ये बात अनुराग आर्य ने कहा है निशंतम ब्लॉग पर जो की निशांत मिश्रा द्वारा लिखा जाता है ....इस ब्लॉग पर निशांत ने एक पोस्ट लिखी थी और इन्होने  विवेचना किया है कि भाषा के नाम पर लेकर कुश के टिप्पणी पर जो बहस चल  रही है वो बेकार की है...
इसके बाद इस ब्लॉग पर हमारे कई बड़े वरिस्थ साथियों ने निशांत की इस बात का समर्थन भी किया है , मै कहता हु अगर ऐसा था तो वहा पर मेरे द्वारा भी कुछ प्रश्न पूछ गया था उसका जवाब निशांत या और बाकी समर्थको ने देना उचित क्यों नहीं समझा ...?
क्या आप ब्लॉग पर सिर्फ अपनी मर्जी की बात लिखना जानते है , और जब जवाब देने की बारी आयेगी तो ............!
चलिए ज्यादा इधर उधर की बात न करते हुए मुद्दे पर आते है , निशांत ने अपने ब्लॉग पर पोस्ट लिखी की  कुश की टिप्पणी को लेकर बेकार की बहस और इसी ब्लॉग पर कुछ लोगो ने अपने मन मर्जी टिपियाया भी और सभी ब्लागरो को काफी कुछ कहा जो कि चच्चा टिप्पू सिंह की इस बात(भोजपुरी, हरयाणवी या और किसी क्षेत्रीय भाषा के ब्लाग डिलिट हों : मगरुरवा कहिन !!) !का समर्थन किये थे .
चलिए बात यहाँ तक भी दायरे में थी लेकिन उसी जगह पर ये टिप्पणी  की 

सार्थक बहसों में लोग मौन रहते है या समझदारी भरी चुप्पी ओड कर निकल जाते है .....अपने अपने पूर्वाग्रह को निकालने के बहाने ऐसी निरर्थक बहसों का इस्तेमाल करते है ...दुःख ओर हैरानी के साथ निराशा तब होती है जब इसमें वो ब्लोगर भी होते है जिन्हें सो कॉल्ड वरिष्ट ब्लोगर कहा जाता है ...टिपण्णी इतनी महत्वपूर्ण है ब्लॉग जगत में की कोई किसी को नाराज नहीं करना चाहता .....कभी कभी सोचता हूं यदि गूगल ब्लॉग बन्द करने की घोषणा कर दे .तो ?

चलिए मै यहाँ पर भी  एतराज नहीं जता रहा हु  लेकिन कुछ ही देर बाद अनुराग आर्य की दूसरी टिप्पणी कुछ इस तरह आयी

डॉ .अनुराग ने कहा…
October 16, 2009 6:29 PM

महाभारत में एक कहानी थी ....
"अश्वथामा मारा गया " इसका इस्तेमाल.....यहां वही सीन है.... .गौतम राजरिशी को गोली लगने के बाद मेरी पोस्ट पे लोग दशहरे की शुभकानाये लिख जाते है....आप क्या उम्मीद करगे ......?

अब आप बताइये ऐसी कौन सी पोस्ट थी और आप में से कितने लोग थे जो वहा पर दशहरा के बधाई देकर आये थे और आज आपके उस बधाई सन्देश को यहाँ किसी अन्य  रूप में पेश किया जा रहा है ...
मै ये बात आपसे इसीलिए पूछ रहा हु क्युकी ये बात मै वहा पूछा लेकिन शायद तब तक चौपाल उठ चुकी थी , अब मै ये कैसे कह सकता हु कि उठ चुकी थी  आप खुद देख लो
उसी पोस्ट पर मेरा  कमेन्ट
Mishra Pankaj ने कहा…
October 16, 2009 9:51 PM

डा. साहब गुस्ताखी माफ़ की जाय
क्या आप उस पोस्ट का लिंक यहाँ दे सकते है जहा  पर आपको दशहरे की शुभकामनाये दिया गया है ?
जिस दिन मेजर साहब को गोली लगी थी तो कुश जी ने चर्चा की थी और जब वहा पर लगभग ८ लोग उनके चर्चा  और फार्मेट की तारीफ़ करके आ गए तो उन्होंने आपसे मिली अपडेट लगा दिया तो आप क्या कहेगे ?
क्या वो लोग गलत थे जो पहले सिर्फ कलेवर की क\बखान करके आ गए थे और बाद में जो पहुचा वो मेजर साहब  के शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना किया .
तो आप अब ये बताओ गलती किसकी जो वहा कलेवर की चर्चा करके आया या वो जो बाद में ऐसी खबर एड किया .
क्या वहा पर दूसरी पोस्ट लिखना तर्कसंगत नहीं था ...ऐसे जगह पर तो मेजर साहब के लिए दूसरी पोस्ट लिखनी चाहिए थी .
शायद आपने भी कुछ ऐसा ही किया होगा कि दशहरा के पोस्ट लगाई होगी तो लोगो ने दशहरा की शुभकामनाये दी ....
मेजर साहब से हम सबका लगाव है और इस बगाजग्त का हर बन्दा  मेजर गौतम के शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना कर रहा था दिल से भगवान् को याद कर .....
आपको दीपावली की शुभकामना

और पुनः मै लिखा
Mishra Pankaj ने कहा…
October 16, 2009 9:53 PM

चर्चा का लिंक ये है
http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/09/blog-post_23.हटमल

उसके बाद मै पुनः लिखा
Mishra Pankaj ने कहा…
October 17, 2009 9:01 AM

awaiting your response!!!

लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं , मै पूछता   हु अनुराग आर्य से और निशांतम  के लेखक श्री मान निशांत से कि , अगर किसी बहस के सिर्फ एक पहलू को रखना है तो आपने ऐसे पोस्ट क्यों लिखे और अगर आपको अपने कमेन्ट की सफाई नहीं  देनी थी तो ऐसी कमेन्ट क्यों किया , क्या आपकी लिए यह बहस सिर्फ एक दिन का पोस्ट था और आपने किस बेसिस  पर यह बात कही है कि गौतम राजरिशी को गोली लगने के बाद मेरी पोस्ट पे लोग दशहरे की शुभकानाये लिख जाते है....आप क्या उम्मीद करगे ......?
यहाँ भी पोस्ट लिखने का सिर्फ यही     मकसद   है कि  शायद   जवाब मिले ...और आप सभी पाठक   मुझे बताये कि गलती   मेरी है या  ऐसे पोस्ट पर ऐसे कमेन्ट करनेवालो  की ...
नमस्कार
पंकज   मिश्रा

20 comments:

  1. निशांत on October 20, 2009 at 6:34 AM

    मिश्राजी, आपकी उपरोक्त टिपण्णी डॉ. अनुराग को संबोधित थी अतः उसका उत्तर मैं कैसे दे सकता था? वैसे भी मेरी पोस्ट कुश की टिपण्णी को लेकर लिखी गई थी, मेजर गौतम को गोली लगने को लेकर नहीं.

    मुझे यह भी लग रहा है कि आपने स्वयं ही अपनी टिपण्णी में उत्तर दे दिया था.

    यह भी हो सकता है कि डॉ. अनुराग मेरे ब्लौग पर बाद में आये ही न हों.

    यहाँ कौन सी बहसें अपने निष्कर्षों पर पहुँची हैं जो यह पहुंच जाएँगी?:)

     
  2. Mishra Pankaj on October 20, 2009 at 6:54 AM

    बात सिर्फ इस बात की है कि मै अपने कमेन्ट में जवाब नहीं सवाल किया था कि किस बात पर अनुराग आर्य ने यह कहा है कि यहाँ लोग मेजर साहब के गोंली लगने के बाद भी दशहरा की शुभकामनाये देते है और मै जवाब में लिंक नहीं उसी लिंक से सवाल किया था ....
    और हां आपने ये कहा है कि हो सकता है कि उसके बाद मेरे ब्लॉग पर आये ही ना हो ...
    तो मेरे हिसाब से फिर ऐसी जगह ऐसे मुद्दे उठाने नहीं , या फिर अपनी बात कहकर हट नहीं जाना चाहिए

     
  3. रायचंद-गिरधारी on October 20, 2009 at 7:29 AM

    .दुःख ओर हैरानी के साथ निराशा तब होती है जब इसमें वो ब्लोगर भी होते है जिन्हें सो कॉल्ड वरिष्ट ब्लोगर कहा जाता है

    बेचारे "सो काल्ड" ब्लागर....एक और शिकार।:)
    इन "सो काल्ड" को तो तडपा तडपा कर मारेंगे।

    जय हो अनुराग आर्य जी की।

    शर्मनाक।



    रायचंद-गिरधारी

     
  4. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on October 20, 2009 at 7:30 AM

    दुनिया रंग-रंगीली!
    धरा कभी सूखी,कभी गीली!
    सत्यता स्वयं ही प्रमाण है।
    पोस्ट से सहमत हूँ!

     
  5. विवेक रस्तोगी on October 20, 2009 at 8:53 AM

    ये इंडिया है मेरी जान सब कुछ चलता है।

    एक और महत्वपूर्ण बात अगर आपको किसी टिप्पणीकर्ता को सन्देश पहुँचाना है मतलब कि उसे बताना है कि आपने उसकी टिप्पणी का उत्तर दिया है तो आपका भी कर्त्तव्य है कि उस टिप्पणीकर्ता को ईमेल कर दें।

    निशांत जी से सहमत हैं कि "यहाँ कौन सी बहसें अपने निष्कर्षों पर पहुँची हैं जो यह पहुंच जायेंगी ?" और अगर आपको कोई ऐसी बहस मिल जाये तो कृपया करके सूचित करें।

     
  6. एक शायर बदनाम सा on October 20, 2009 at 8:55 AM

    एक शायरी इन पर सुनियेगा और दाद दिजियेगा।

    आसूं ना बहा फ़रियाद ना कर, जलना है तो मन मे जल।

    ये तो आह आह भरते ब्लागर हैं, भर के आहें घर को चल।

     
  7. निर्मला कपिला on October 20, 2009 at 9:47 AM

    पंकज जी आप से एक गुजारिश करती हूँ कि डा< अनुराग ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो किसी को आहत करने के लिये टिप्पणी दें कई बार जब इन्सान दुखी होता है तो अपने मन के भाव कह देता है हम भी तो कहाँ इतनी गहरी बात पर हर बार गौर करते हैं और मुझे इस बात का भी दुख है कि गौतम जी के गोली लगने पर भी ऐसे झगडे हो रहे हैं ये भी जरूरी नहीं कि हर कोई कमेन्ट देने के बाद उसे दोबारा देखता हो मैं कहीं भी कमेन्ट करती हूँ कभी भी नहीं देखती कि उस पर क्यa ाप्रतिक्रिया हुई है मुझे तो बस अपना पक्ष रखना होता है न कि बहस करनी होती है क्यों कि ब्लाग जगत मे कभी कोई सार्थक बहस तो होती नहीं न ही किसी बहस का कोई नतीजा निकलता है। छोटी छोटी बातों को नज़र अंदाज़ करना ही सही रहता है। ये मेरे विचार हैं चर्चा के लिये इस मे कुछ नहीं । डा़ अनुराग को जितना मैं जानती हूँ वो बहुत अच्छी इन्सान हैं और झगडों से दूर रहते हैं ।हम क्यों अपनी ऊर्जा नकारात्मक बातों मे खर्च करते हैं बस यही मेरा सवाल भी और जवाब भी है । ऐसे झगडे आप मेल कर के हल कर लिया करें। ओसे अन्यथा न लें ।अप मेरे बच्चों जैसे हैं तो मेरा फर्ज़ समझाना है । शुभकामनायें

     
  8. निर्मला कपिला on October 20, 2009 at 9:47 AM

    पंकज जी आप से एक गुजारिश करती हूँ कि डा< अनुराग ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो किसी को आहत करने के लिये टिप्पणी दें कई बार जब इन्सान दुखी होता है तो अपने मन के भाव कह देता है हम भी तो कहाँ इतनी गहरी बात पर हर बार गौर करते हैं और मुझे इस बात का भी दुख है कि गौतम जी के गोली लगने पर भी ऐसे झगडे हो रहे हैं ये भी जरूरी नहीं कि हर कोई कमेन्ट देने के बाद उसे दोबारा देखता हो मैं कहीं भी कमेन्ट करती हूँ कभी भी नहीं देखती कि उस पर क्यa ाप्रतिक्रिया हुई है मुझे तो बस अपना पक्ष रखना होता है न कि बहस करनी होती है क्यों कि ब्लाग जगत मे कभी कोई सार्थक बहस तो होती नहीं न ही किसी बहस का कोई नतीजा निकलता है। छोटी छोटी बातों को नज़र अंदाज़ करना ही सही रहता है। ये मेरे विचार हैं चर्चा के लिये इस मे कुछ नहीं । डा़ अनुराग को जितना मैं जानती हूँ वो बहुत अच्छी इन्सान हैं और झगडों से दूर रहते हैं ।हम क्यों अपनी ऊर्जा नकारात्मक बातों मे खर्च करते हैं बस यही मेरा सवाल भी और जवाब भी है । ऐसे झगडे आप मेल कर के हल कर लिया करें। ओसे अन्यथा न लें ।अप मेरे बच्चों जैसे हैं तो मेरा फर्ज़ समझाना है । शुभकामनायें

     
  9. निर्मला कपिला on October 20, 2009 at 9:47 AM

    पंकज जी आप से एक गुजारिश करती हूँ कि डा< अनुराग ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो किसी को आहत करने के लिये टिप्पणी दें कई बार जब इन्सान दुखी होता है तो अपने मन के भाव कह देता है हम भी तो कहाँ इतनी गहरी बात पर हर बार गौर करते हैं और मुझे इस बात का भी दुख है कि गौतम जी के गोली लगने पर भी ऐसे झगडे हो रहे हैं ये भी जरूरी नहीं कि हर कोई कमेन्ट देने के बाद उसे दोबारा देखता हो मैं कहीं भी कमेन्ट करती हूँ कभी भी नहीं देखती कि उस पर क्यa ाप्रतिक्रिया हुई है मुझे तो बस अपना पक्ष रखना होता है न कि बहस करनी होती है क्यों कि ब्लाग जगत मे कभी कोई सार्थक बहस तो होती नहीं न ही किसी बहस का कोई नतीजा निकलता है। छोटी छोटी बातों को नज़र अंदाज़ करना ही सही रहता है। ये मेरे विचार हैं चर्चा के लिये इस मे कुछ नहीं । डा़ अनुराग को जितना मैं जानती हूँ वो बहुत अच्छी इन्सान हैं और झगडों से दूर रहते हैं ।हम क्यों अपनी ऊर्जा नकारात्मक बातों मे खर्च करते हैं बस यही मेरा सवाल भी और जवाब भी है । ऐसे झगडे आप मेल कर के हल कर लिया करें। ओसे अन्यथा न लें ।अप मेरे बच्चों जैसे हैं तो मेरा फर्ज़ समझाना है । शुभकामनायें

     
  10. Mishra Pankaj on October 20, 2009 at 10:11 AM

    @निर्मला कपिला जी ,
    मै आपकी बातो की क़द्र करता हु और इस तरह के किसी भी झगडे में ना पदने की ही सोचता था , लेकिन अगर कही पर ऐसे टिप्पणी हो तो उसका प्रतितिप्पनी होना जरुरी है की नहीं ,

    @ विवेक रस्तोगी जी ,
    एक और महत्वपूर्ण बात अगर आपको किसी टिप्पणीकर्ता को सन्देश पहुँचाना है
    मतलब कि उसे बताना है कि आपने उसकी टिप्पणी का उत्तर दिया है तो आपका भी
    कर्त्तव्य है कि उस टिप्पणीकर्ता को ईमेल कर दें।

    अगर किसी को कोई मसला टिप्पणियों से ही हल करवाना होता है तो मेरे हिसाब से अगर चच्चा टिप्पू सिंह की बात् किसी को बुरी लगी तो उअके लिए पोस्ट नहीं लिखना चाहिए था ? ये मै बता नहीं रहा हु आपसे पूछ  रहा हु ...
    पहले तो आपने कभी भी ये बात नहीं की , अगर दूसरा कोई अपनी बात टिप्पणियों से हल कर रहा है तो मै अपनी बात इ-मेल से क्यों हल करू ,
    और आज के तारीख में सभी ब्लॉगर ऐसे किसी भी मसले में टिप्पणियों को फालो करते है , और अगर फालो नहीं करते तो एक बार टिप्पणी करने के बाद दुबारा किस तर्ज पर टिप्पणी किया गया है , आप बता सकते है कि निशांत के ब्लॉग पर दुबारा टिप्पणी किसलिए  किया गया था ,

     
  11. ब्लाग वकील on October 20, 2009 at 11:04 AM

    @Nirmla Kapila ji

    आपका कहना है अनुराग ऐसे व्यक्ति नहीं हैं जो किसी को आहत करने के लिये टिप्पणी दें कई बार जब इन्सान दुखी होता है तो अपने मन के भाव कह देता है हम भी तो कहाँ इतनी गहरी बात पर हर बार गौर करते हैं और मुझे इस बात का भी दुख है कि गौतम जी के गोली लगने पर भी ऐसे झगडे हो रहे हैं

    अगर आपका कहना सही है तो एक बात बताईये कि अनुराग जी ने वहां ऐसे तल्ख कमेंट क्यों किये थे? और मुआफ़ किजियेगा गौतम जी गोली लगने लगने की घटना से सभी दुखी थे, मैं भी और आप भी...लेकिन ये मुद्दा भी इन्होने ही वहां ऊठाया....

    बात इतनी आसान नही है जितनी आप समझ रही हैं. यानि आप तो किसी के बारे मे जो चाहे कमेंट करके चले आयें? और दुसरा अपनी सफ़ाई भी दे तो उसका अधिकार उसे नही है?
    ये तो कोई बात नही हुई.

    @ पंकज मिश्रा

    आपने आज यह पोस्ट क्यों लिखी इसका औचित्य समझ नही आया? आप आखिर कहना क्या चाहते हैं? आपको बात जरा स्पष्ट रुप से कहना चाहिये. आपकी पोस्ट से तो ऐसा लग रहा है कि कोई निजी खुन्नस का मामला है । अनुराग आर्य भी कुश के समर्थन मे खेमेबंदी के तहत ही वहां कमेंट करने गये होंगे?

    बात स्पष्ट करें तो समझा जाये।

    हमको मुकदमा समझने क्के लिये यह स्पष्टीकरण चाहियें।

     
  12. दिगम्बर नासवा on October 20, 2009 at 11:25 AM

    बहुत गरमा गर्मी हो गयी .......... शाँति ......... शांति ........... शांति ......... पंकज जी ..... बोदू रामको बुलाओ भाई ........

     
  13. Mishra Pankaj on October 20, 2009 at 12:01 PM

    @ ब्लॉग वकील ,

    वकील साहब सबसे पहले तो धन्यवाद स्वीकार करे कि आप हमारे ब्लॉग पर आये ...
    आगे बात हो रही हो पोस्ट लिखने के तो मै एक बात स्पस्ट कर देना चाहता हु की मै ये पोस्ट किसी खुन्नस में नहीं लिखी है , और ना ही मेरे ऊपर उस कमेन्ट का कोई प्रभाव पड़ा है हां पङता अगर मै दुबारा इस ब्लॉग पर ना गया होता
    अगर मै यहाँ दुबारा ना गया होता तो आज मै भी उन ब्लॉगर में जीना जाता जिसके लिए ये कमेन्ट है कि "अश्वथामा मारा गया " इसका इस्तेमाल.....यहां वही सीन है.... .गौतम
    राजरिशी को गोली लगने के बाद मेरी पोस्ट पे लोग दशहरे की शुभकानाये लिख
    जाते है....आप क्या उम्मीद करगे ......?

    आप सब देखिये और फिर मेरे सवाल का जवाब्दिजिये , गलती किसकी है
    यहाँ पर काफी लोगो ने कुश के पोस्ट के कलेवर की चर्चा करके वापस आ गए थे उसके बाद मेजर गौतम साहब की खबर लगाई गयी तो जो पहले वापस आये थे वो गलत थे क्या ,
    फिर ऐसे मुद्दे को क्यों उछला गया .
    वकील साहब आप बताइये

     
  14. Pt. D.K. Sharma "Vatsa" on October 20, 2009 at 1:45 PM

    भई पंकज जी, छोडिए इन झगडों को.....ये वो जगह है जहाँ हर आदमी अपनी ढफली अपना राग अलापने में लगा हुआ है...किसी को किसी से कोई मतलब नहीं। मतलब है तो बस टिप्पणी से ओर फालतू के बिवाद पैदा करके अपनी टीआरपी बढाने से.....
    आपने अपने मन की कह दी,स्थिति को स्पष्ट कर दिया..बस बात खत्म करें वर्ना यहाँ भी कुछ सार्थक बहस तो होने से रही बल्कि कुछ देर में अनामी/बेनामी और तमाशबीनों की लाईन जरूर लग जाएगी ।
    बाकी जैसी आपकी मर्जी......

     
  15. राज भाटिय़ा on October 20, 2009 at 2:09 PM

    कब हम इन बेकार के झंझटो मे उलझे रहे गे? कब समझ दार बने गे??

     
  16. Arvind Mishra on October 20, 2009 at 2:20 PM

    पंकज ,अनुराग जी ने व्यथित होकर कुछ कहा होगा -वह मन में न रखें ! वैसे गौतम जी किसी भी तरह से शोचनीय नहीं हैं -हमें उनकी दिलेरी और शौर्य पर गर्व है !

     
  17. Urmi on October 20, 2009 at 6:00 PM

    आपको और आपके परिवार को दीपावली और भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!

     
  18. Rakesh Singh - राकेश सिंह on October 20, 2009 at 10:54 PM

    पंकज भाई मैंने भी कुछ ब्लॉगर ऐसे देखे हैं जो चर्चा तो आरम्भ कर देते हैं पर टिप्पणियों का जवाब देते नहीं | एक और ऐसा उदाहरण आप यहाँ देख सकते हैं : http://darvaar.blogspot.com/2009/10/blog-post_14.html

    मैंने ये टिप्पणी Oct 15 को की पर आज तक कोई जवाब नहीं :

    Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…
    @धीरू भाई जब आपने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है तो सबों की टिप्पणियों को उचित सम्मान देते हुए निसाचर जी, सुरेश जी, जयराम जी और मेरे सवालों का उचित जवाब भी दीजिये

    ये गलत परंपरा है की टिप्पणी का जवाब ही नहीं दिया जाए | यदि टिप्पणी का जवाब ही नहीं देना है तो अपने ब्लॉग पे टिप्पणी ही क्यूँ allow करते हैं या फिर बड़े बड़े शब्दों मैं क्यों नहीं लिख देते की मैं टिप्पणी का जवाब नहीं दूंगा ....

    आपने बिलकुल सार्थक चर्चा की है ...

     
  19. Mishra Pankaj on October 20, 2009 at 10:59 PM

    धन्यवाद राकेश भाई ,

     
  20. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on October 21, 2009 at 5:29 PM

    वाह.....बोदूराम जी वाह......!!
    यह रही ना सौ सुनार की और एक लुहार की।
    बढ़िया रही ये मनोरंजक पोस्ट।
    बधाई!

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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