अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , जी आप सबको .
कल एक बात हो गयी बोदूराम को पुलिस पकड़कर ले गयी और बाद में टी वी में बताया जा रहा था कि किस तरह बोदूराम पिछले १० साल से नकली नोटों का धंधा कर रहा था और कल किस जाबांजी के साथ पुलिस ने उसे पुराने पुल के पास से भागते समय गिरफ्तार किया .

वैसे एक बात बता दू पुलिस हमेशा अपराधी को नदी के पुल के पास से ही गिरफ्तार करती है और बयान में बताती है कि साथ वाला दो साथी फायरिंग करते हुए फरार हो गए है .
खैर छोडिये यहाँ बात हो रही थी बोदूराम के गिरफ्तारी की . बोदूराम को नकली नोटों के धंधे के जुर्म में कारावास हो गया था .

कुछ दिन बाद मै सोचा कि मै बोदूराम का पडोसी हु और अगर मै नहीं जाउगा तो बोदूराम बुरा मान जायेगे और अगर बुरा मान गए तो मेरी खैर नहीं .क्युकी हमेशा तो जेल में रहेगे नहीं जिस दिन बाहर आयेगे मुझे ही जेल में मिलने ना आने के जुर्म में लटका देगे .

खैर मै पंहुचा तो देखा बोदूराम जेल में बैठकर टी वी पर हम आपके है कौन फिल्म देख रहे थे .
मै पास में गया और बोदूराम के साथ खेद प्रकट किया और बोला कि आपके साथ बुरा हुआ . खैर घबराओ मत जिसने आपको फसाया है वही कुछ ना कुछ रास्ता निकालेगा आपको बाहर करने का.

बोदूराम बोला - कौन फसाया है मुझे और कौन निकालेगा बाहर .
मै बोला ,भगवान् आपको बाहर निकालेगे .
बोदूराम निराशा के लहजे में बोला , अरे नहीं पंकज जी भगवान् का कौन सा काम अटका है जो मुझे बाहर निकालेगे .अब तो मुझे यही सड़ना है .
मै बोला धीरज रखो बोदूराम जी वैसे आप फसे कैसे

बोदूराम - पंकज जी मै ये धंधा पिछले पांच साल से कर रहा हु लेकिन आज तक नहीं फसा था.
कुछ दिन पहले मेरे जीवन में एक कन्या आयी , रामकटोरी .

मै उसके प्यार में पागल हो गया . प्यार ऐसा परवान चढा कि मै दिन रात सोते जागते उसके बारे में ही सोचता रहता था . एक दिन और भयानक बात् हो
गया ।

मै रामकटोरी को इतना चाहनेलागा था कि एक दिन गलती से नकली नोट पर गांधीजी की जगह रामकटोरी की ही फोटो लगा दिया ।

बस पंकज जी वो दिन और आज का दिन मै सड़ रहा हु जेल में


7 comments:

  1. Himanshu Pandey on October 3, 2009 at 5:09 AM

    बेहद खूबसूरत प्रविष्टि । बोदूराम सदा ही लुभाते हैं ।

     
  2. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on October 3, 2009 at 7:39 AM

    आगे-आगे देखिए क्या होता है?
    ये बोदूराम न जाने कैसे-कैसे गुल खिलाएगा।

     
  3. पी.सी.गोदियाल "परचेत" on October 3, 2009 at 10:17 AM

    पंकज जी क्या बात करते हो, अभी आपने ही तो बताया कि भोदुराम को पुलिस कल पकड़ कर ले गयी तो एक ही दिन में थोड़े ही सड जाता है, आदमी जेल में ?और आजकल हमारी जेले सड़ने के लिए थोड़े ही बनी है आदमी बाहर रह कर सड जाएगा लेकिन जेल में नहीं !

     
  4. निर्मला कपिला on October 3, 2009 at 5:24 PM

    पंकज जी ये क्या किया हमारे बोदू को जेल पहुँचा दिया । बेचारा नित नये नुस्खे बताता था सब को। खैर अब बन्दे का पूत बन के आयेगा। बहुत सुन्दर आगे देखें क्या होता है । अपने दिवेदी जी वकील हैं उन्हें वकील कर लें बोदू राम के लिये

     
  5. निर्मला कपिला on October 3, 2009 at 5:29 PM

    मेरा कम्मेन्ट कहाँ गया?

     
  6. अमिताभ श्रीवास्तव on October 3, 2009 at 6:33 PM

    बेचारा बोदुराम।
    अब जब ख्यालों में रामकटोरी हो तो नोट की फिक्र कैसी। वैसे उम्दा लेखन है जी आपका, मज़ा आता है पढ कर।

     
  7. Rajeysha on October 3, 2009 at 7:07 PM

    Wah bhai बोदूराम!

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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