अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्ते!!! हु पंकज छु अने तमारो स्वागत करू अपणे ब्लॉग ऊपर .
दो दिन से विचार रहा था कि किस तरह मै भी ज्यादा टी आर पी इकट्ठा करू ढेर सारा कमेन्ट आये और मेरा भी नाम चिट्ठाजगत के पट्टी पर लहराए . बस यही सवाल परेशान किये जा रहा था .

भरोसा ना हो तो एक राज की बात बताता हु मै आप सब के ब्लॉग पर टिप्पणी तो कर आता था लेकिन बिना पढ़े :)

दिन रात सोचने के कारण दिमाग पे हमेशा टी आर पी पाने की बात ही चढी रहती थी सोते जागते भी बस यही सोचता कि कैसे ज्यादा टिप्पणी मिले . कल जो मेरे साथ हुआ मै आपको बताता हु .
कल दिन भर मै इन्टरनेट के इस महाजाल में खोया रह गया ज्यादा से ज्यादा देखा लोग किसी ना किसी के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगा कर चुप चाप बैठ गए थे और कितने आरोप लगाकर बाज़ार घूमने चले गए थे , मतलब इन्टरनेट से लाग आउट हो गए थे . लोग आते और जिसके ऊपर आरोप लगता था उससे कहते घबराओ नही आने दो तो हम पूछते है , बिलकुल जैसे घर पर बड़ा भाई मुझे पीट दे और बाजार चला जाए तो पापा आकर बोले कि रोओं मत आने दो मै पूछता हु क्यों तुम्हे मारा



खैर दिन भर यही घटना देख कर गया था तो रात में सपने में भी यही सब आना लाजिमी है
सो गया और अध्याय शुरू हो गया मेरा भी टी आर पी पाने का , सबसे पहले मै वार किया समीर जी के ऊपर और ठेल दिया एक पोस्ट अपने ब्लॉग .




शीर्षक था - समीर जी आपने कमेन्ट दिया पर अपनों को सिर्फ .
आगे क्या हुआ ढेर सारा कमेन्ट आने लगा , नहीं भाई ऐसा नहीं है समीर जी तो नए ब्लॉगर पुराने ब्लॉगर सबका सम्मान करते है .
चलो कुछ भी कमेन्ट आया आया तो अपणे ब्लॉग ऊपर ही मै कमेन्ट पब्लिश करते करते थक गया . लेकिन तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरे हाथ पर कुछ काट रहा है देखा तो मै पसीने से तर बतर बिस्तर लेता हु और एक मच्छर मेरे हाथ पर बैठा अपना कमेन्ट दे रहा था .
खैर मुझे पता चल गया कि मै तो नीद में सपने देख रहा था .


फिर से नीद लगी दूसरा कारनामा ताऊ जी के ऊपर
शीर्षक - ताऊ कौन है ये मुझे पता है ---

अब तो कमेन्ट की लाट देखता हु तो कमेन्ट approve करने काभी समय नहीं मिल पा रहा है मै खीझकर कमेन्ट फ्री कर देता हु बिना जाचे छपने दो .
तभी मुझे एहसास होता है कि कोई मेरे पीछे लट्ठ लेकर रहा है देखा तो एक मुछ वाला बन्दा था.



पास आया और दो बजाया और बोला डट जा मै तुझे बताता हु ताऊ कौन है,
मै कहा आप कौन हो
आदमी बोला - लट्ठ लेकर कौन चलता है
मै बोला ताउजी
ताउजी बोले - तो बावली बच मै ताऊ ही हु .


मै बोला गुस्ताखी माफ़ ये सब मै कमेन्ट पाने के लिए किया .
ताऊ बोले - और एक दो दे दू क्या लट्ठ भी मेरा कमेन्ट ही देता है
मै बोला - ताऊ जी माफी .
ताऊ जी बोले - ऐसे नहीं कोई गीत सूना तो छोड़ दुगा

मै ये गीत लगाया दिया जो आप सुन रहे हो यह गीत गरबा का है थोडा आवाज बढा लीजिये और हो जाइए शुरू नॉन स्टाप गरबा फाल्गुनी पाठक के साथ .Gujarati Garba I





7 comments:

  1. निर्मला कपिला on September 25, 2009 at 9:50 AM

    वाह जी साथ मे कहते हो कि कमेन्त चाहिये साथ मे नान स्ताप शुरू हो जओ तो भाई कमेन्ट कैसे देंगे। आप तो पोस्ट ठेल कर चल दिये अब अपना तो काम बढ गया ना?

     
  2. ghughutibasuti on September 25, 2009 at 12:54 PM

    लीजिए टिप्पणी.अब बिन टिप्पणी की चाहत के भी लिखिए.
    घुघूती बासूती

     
  3. Rangnath Singh on September 25, 2009 at 2:39 PM

    sahi hai...majedar likhte hai aap.....bhai tippani ke liye tamam nichtaye karni padati hai...so bhul jayiye ise... ek aur eegyarah tippani me koi jyada fark nhi hota...

     
  4. ओम आर्य on September 25, 2009 at 5:39 PM

    बहुत रोचक लिखते है आप शुक्रिया..........

     
  5. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on September 25, 2009 at 10:39 PM

    मिश्रा जी!
    बहुत अच्छा लपेटा है।
    आपके व्यंग्यों की
    बहुत पैनी धार है।
    हकीकत तो यह है कि-
    बहुत मीठी मार है!!

     
  6. दिगम्बर नासवा on September 26, 2009 at 5:46 AM

    इतना अच्छा लिखा है की हम भी कमेन्ट कर देते हैं ...........

     
  7. Rakesh Singh - राकेश सिंह on September 30, 2009 at 1:50 AM

    सही लापता है सबको ....

    देख भाई मेरी TRP बढाने के लिए मुझे लपेटे तो ठीक है तुम अपनी TRP के चक्कर मैं मत लपेटियो...

    इसी डर से टिप्पणी छोडे जाता हूँ ... ....

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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