अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , अमी पंकज मिश्रा !!!
एक गाँव की कहानी मेरी ज़ुबानी , सुनिए और बताइये कैसी रही ये कहानी .

रतनपुर गाँव में सिर्फ एक जाती के लोग रहते है जाति एक है लेकिन पार्टी दो है एक है चैतु की पार्टी तो दूसरी है गाँव के खलीफा दामोदर की पार्टी .

पार्टी मतलब सही हो या गलत पर बोलेगे अपने पार्टी की तरफ से ही . इसी को कहते है पार्टी यानी गुटबाजी .
अब आगे सुनिए खलीफा की पार्टी में है एक ऐसा इंसान जो करता रहता है सबको परेसान .
नाम है कोलन सिंह पहलवान .
कोलन का काम है दुसरे पार्टी के लोगो को चिडाना , चाही वो महिला हो या पुरुष .
कल भी वो चैतु के पार्टी के एक महिला को जमकर खिल्ली उडाया ,जितना मर्जी किया उतना बातें बनाया . महिला का नाम है सुन्दरी .


सुन्दरी का खिल्ली उडाने के बाद कोलन बहुत प्रसन्न हुआ और अपने गुट में जाकर वाहवाही लेने लगा .
सुन्दरी की तरफ से कोई भी कोलन से पुछ पछोर करने केलिए तैयार नहीं हुआ . सभी बस एक दुसरे का मुह देखते रह गए . लेकिन एक जाबाज़ बन्दा मिला जिसने सरे आम एलान किया कि मै सुन्दरी की तरफ से पूछताछ करुगा कोलन से और उसे कोर्ट तक ले जाउगा जरुरत पडी तो मै खुद सुन्दरी का वकील बनकर सामने आउगा . नाम था पुल्लू .


अब अगले दिन से ही पुल्लू ने कोलन की बुराई करना शुरू कर दिया . थोड़े ही देर में ये बात कोलन तक पहुच गयी . कोलन पुल्लू को बड़े प्यार से समझाना शुरू किया और उसके बुद्धिमान होने की दुहाई भी दिया
थोड़े ही देर में पुल्लू का मन भी ढीला होने लगा वो भी गाहे बगाहे कोलन की बड़प्पन बतलाने लगा था . धीरे धीरे दोनों के बीच काफी मेल मिलाप हो गया .
बात तो तब और ज्यादा संसय वाला हो गया जब गाँव के चौधरी ने यह कह दिया कि पुल्लू-कोलन नाम बहुत प्यारा लग रहा है एक साथ . फिर क्या था पुल्लू कोलन के नाम को अपने साथ जोड़ने के सपने देखने लगा. इधर सुन्दरी को भी एहसास होने लगा कि पुल्लू बस मेरे नाम का फायदा लेकर अपना टी आर पी बढा लिया और मुझे क्या मिला बंडा.






पुल्लू ने गाँव के सामने एलान कर दिया कोलन के साथ अपना नाम जोड़ने का ,इसी बीच समलैंगिक अपराध नहीं का नियम भी आ गया पुल्लू ने गाँव वालो से मिन्नत की कि मुझे कोलन की धर्मपत्नी के रूप में अपनाया जाय गाँव वाले फैसले के आगे नतमस्तक . पुल्लू ने अपना खेत बेच कर अपने शरीर में औरत बनाने के अनुरूप परिवर्तन करवाया . सुन्दरी तो सिर्फ एक बहाना थी , टी आर पी और कोलन जो पानी थी .
अब पुल्लू का पूरा नाम है पुल्लू धर्मपत्नी कोलन चौधरी !!!!!

6 comments:

  1. Arvind Mishra on September 24, 2009 at 7:56 AM

    बढियां है -ऐसे चाल और चरित्र तो हर कहीं ,यहाँ ब्लॉग जगत में भी मिल ही जायेगें मगर बदले हुए चेहरे लिए हुए !

     
  2. गिरिजेश राव, Girijesh Rao on September 24, 2009 at 8:19 AM

    हद है !

     
  3. निर्मला कपिला on September 24, 2009 at 9:53 AM

    ांरे ये तो ब्लागजगत का चिठा खोल दिया भाई गज़ब

     
  4. ताऊ रामपुरिया on September 24, 2009 at 10:15 AM

    वाह भाई ये तो बहुते गजब लिखे हो. वैसे अरविंद मिश्रा जी सही कह रहे हैं.

     
  5. हेमन्त कुमार on September 24, 2009 at 3:16 PM

    हिला के रख दिया आपने । आभार ।

     
  6. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on September 24, 2009 at 9:12 PM

    बहुत बढ़िया लिखा है मिश्रा जी।
    रोचक प्रसंग है।
    बधाई!

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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