अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी

नमस्कार , पंकज मिश्रा.
आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर .

दो शेर आपके लिए झेल सको तो झेल लो !!!!:)


नजर हमारी नजर तुम्हारी , नजर ने दिल की नजर उतारी .
नजर ने देखा नजर को ऐसे , नजर ना लगे आपको हमारी !!!

सारा जनाजा था हमारे जनाजे के पीछे ,
एक तू ही नहीं था हमारे जनाजे के पीछे ,
मैकैसे होता तुम्हारे जनाजे के पीछे,
तुम्हारा जनाजा था हमारे जनाजे के पीछे .

9 comments:

  1. Udan Tashtari on September 21, 2009 at 5:19 AM

    क्या चैलेंज दिया है-वाकई नहीं झेल पा रहे. आप जीत गये, बहुत बधाई. :)

     
  2. वाणी गीत on September 21, 2009 at 5:53 AM

    जनाजे के पीछे न होने की सफाई तो दे ही दी है ...झेलने वाले झेलते रहे ..!!

     
  3. Arvind Mishra on September 21, 2009 at 7:09 AM

    बहुत खूब ! गौतम राजरिशी का भी एक शेर जरूर पढ़ लीजियेगा आज के दिन के लिए ख़ास है !

     
  4. ताऊ रामपुरिया on September 21, 2009 at 8:29 AM

    वाह जी शेर वाकई झेलने लायक हैं इसलिये झेल भी लिये और नोट भी कर लिये.

    रामराम.

     
  5. Anonymous on September 21, 2009 at 10:09 AM

    Very nice!!

     
  6. Urmi on September 21, 2009 at 11:29 AM

    वाह बहुत बढ़िया लगा! शानदार और एक से बढ़कर एक शेर है!

     
  7. निर्मला कपिला on September 21, 2009 at 1:29 PM

    पंकज जी कुछ दिन से कम्प्यूटर की वजह से परेशान थी इस लिये पोछली पोस्ट नहीं पढ सकी आप तो शाअर भी हैं वाह क्या बात है बधाई

     
  8. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' on September 21, 2009 at 8:37 PM

    बढ़िया शेर हैं।
    नवरात्रों की शुभकामनाएँ!
    ईद मुबारक!!

     
  9. दिगम्बर नासवा on September 22, 2009 at 1:23 PM

    AAPKI NAZAR KO JHELNA AASAAN TO NAHI THAA .... PAR VO TO LAD GAYEE HUMSE IS SHER KE DWAARA ........

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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