अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी


नमस्कार

बोदूराम गाँव में काफी क्या बोले तो पूरी तरह से उत्पात मचा रखा था . गाँव के सभी उत्पातीयो कोअपने उतपात से त्रस्त कर रखा था .
गाँव के सभी लोग उससे जलते थे क्युकी गाँव की सबसे क्यूट छोरी उससे प्यार जो करती थी रामकटोरी .
क्या कहा आपने फोटो . अरे नहीं भाई , फोटो नहीं लगा सकता नहीं तो बोदूराम गुस्सा हो जायेगे औरमेरा ब्लॉग हैक कर लेगे :)

अब चलते है में बात पर . हुआ यु कि बोदूराम और रामकटोरी का प्यार देखकर गाँव के सभी छोरे कमछिछोरे:) जलते थे .
सभी
लोगो ने प्लान बनाया कि बोदूराम को जहर देकर मार डाला जाय . एक दिन प्लानके मुताबिक बोदूराम को प्रसाद देने के नाम पर जहर से बनाया गया लड्डू दे दिया गया . बोदूराम लड्डू खाया नहीं और अपने झोला में रखकर घर की तरफ रहा था . इतने में पता चला कि गाँव में एक सांड पगला गया है और लोगो को दौडाकर- दौडाकर लगा मारने . लोग बाग़ परेशान हो गए . सांड सीधे भागते भागते बोदूराम कि तरफ आया .बोदूराम का हलक सुखाने लगा कि अब तो आज गया . तभी सामने एक पेड़ दिखाई दिया बस क्या था बोदूराम फाटक करके पेड़ पर जा बैठे . साड नीचे आकर लगाफुफकारने . बोदूराम ने आव देखा ना ताव सीधे जहर वाला लड्डू सांड के मुझ पर दे मारा . सांड लड्डू को खा गया

बोदूराम ऊपर बैठे सब कुछ देख रहे थे . कुछ देर बाद ही सांड जमीन पर लोटने लगा और थोड़ी ही देर मेंमर गया ।

बोदूराम काफी समय तो नीचे नहीं रहे थे लेकिन जब देखा सांड एकदम शांत है तो नीचे उतर आये . आते ही सांड का नाडी चेक किये और जब पूरी तरह समझ गए कि सांड मर गया है तब सोचे कि इसका फायदा उठाना चाहिए . क्युकी ताऊ जी ने कहा है कि कैसे भी हो फायदा मिले तो ले लो . बोदूराम तुंरत सांड के ऊपर बैठ गए और लगे घुसा घुसा मरने और चिल्लाने . गाँव वाले आये और बोद्दोराम को इस तरह देखकर उनको लगा किसांड को बोदूराम ने ही मारा है ,
जाकर
बोदूराम को पकड़ने लगे और बोले बोदूराम भैया सांड मर गया है . चारो तरफ से बोदूराम कि जयकार के नारे लगने लगे .
अब
बोदूराम सेनापती हो गए थे उस छेत्र के राजा केयहाँ . वहा क्या गुल खिलाया कल पढिये . आज के लिए बस .
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6 comments:

  1. निर्मला कपिला on September 2, 2009 at 6:07 PM

    वाह जी क्या बात है बोदूराम जि की अगली कडी का इन्तज़ार रहेगा धन्यवाद्

     
  2. Udan Tashtari on September 2, 2009 at 6:56 PM

    क्या गुल खिलाया..वाह जी!

     
  3. Urmi on September 3, 2009 at 11:52 AM

    बहुत बढ़िया लगा! बोदूराम जी की अगली कड़ी का मुझे बेसब्री से इंतज़ार रहेगा!

     
  4. दिगम्बर नासवा on September 3, 2009 at 12:51 PM

    VAAH BODU RAAM JI ....... AUR KYA KYA KAROGE ... AAGE KA INTEZAAR RAHEGA ...

     
  5. ताऊ रामपुरिया on September 3, 2009 at 1:07 PM

    भाई बोदूरामजी तो कमाल के हैं.

    रामराम.

     
  6. रंजू भाटिया on September 3, 2009 at 5:58 PM

    यह तो आज अभी पढ़ा हमने कमाल के हैं यह बोदूराम जी अगली कड़ी का इन्तजार रहेगा

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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