बोदूराम के गाँव मेहंदीगंज में भोजपुरी संगीत का कार्यक्रम था और गायक लोग भोजपुरी गानों की समां बाँध रहे थे । लेकिन गाना सुनाने वालो में एक १० लोगो का ग्रुप विदेश से आया था जिसमे सारे के सारे लोग गोरे मतलन अंग्रेज थे । उनको ये सारे गाने रास नही आ रहे थे । कुछ देर सुनाने के बाद उसमे से एक खड़ा हुआ और बोला नो नो दिस सोंग नोट गुड आई वांट इंग्लिस सोंग्स । प्लीज सिंग अ इंग्लिश सोंग्स । अब तो गायक मंडळी में शोर मच गया सभी एक दुसरे का मुह ताकने लगे अब कौन गाये अंगरेजी गाना । तभी किसी ने बताया कि मुंगेरीलाल का लड़का बोदूराम ताऊ आश्रम से वापस आया है शायद उसे अंगरेजी गाना आता हो । सभी लोग बोदूराम के पास गए बोदूराम बोला कोई बात नही हम सुनायेगे ससुरो को अंगरेजी गाना चलिए । सभी लोग बोदूराम को खुशी खुशी मंच पे ले गए बोदूराम ने गाना शुरू किया ।
वेलकम वेलकम , यु आर वेलकम एट बी एस एन एल ।
वेलकम वेलकम , यु आर वेलकम एट बी एस एन एल ।
दिस रूट आर वैरी बीजी , प्लीज डायल आफ्टर सम टाइम ।
वेलकम वेलकम , यु आर वेलकम एट बी एस एन एल ।
कैन्दिली अटेन्सन , यु आर वेलकम ।
वेलकम वेलकम , यु आर वेलकम एट बी एस एन एल ।
अब तो अंग्रेज लोग बहुत खुश हुए और बोदूराम को १० हजार इनाम भी दिए जब ये बात ताऊ को पता चली तोउन्होंने सोचा मै तो कभी भी इसको ये पढाया भी नही था ये कहा से सीख गया ? आख़िर कार उन्होंने बोदूराम से फ़ोन करके पूछा कि राज क्या है ? बोदूराम बोला ताऊ जी कुछ नही जब मै आपके आश्रम से घर फ़ोन करता था तो यही आवाज आता था सो मुझे याद हो गया था ।
एक चटका यहाँ भी
7 comments:
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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August 17, 2009 at 4:53 PM
"अब तो अंग्रेज लोग बहुत खुश हुए और बोदूराम को १० हजार इनाम भी दिए जब ये बात ताऊ को पता चली तोउन्होंने सोचा मै तो कभी भी इसको ये पढाया भी नही था ये कहा से सीख गया ? आख़िर कार उन्होंने बोदूराम से फ़ोन करके पूछा कि राज क्या है ? बोदूराम बोला ताऊ जी कुछ नही जब मै आपके आश्रम से घर फ़ोन करता था तो यही आवाज आता था सो मुझे याद हो गया था ।"
बहुत बढ़िया धोया है जी।
बधाई। -
राहुल सिद्धार्थ
on
August 17, 2009 at 5:13 PM
हाय !रे बी.एस.एन.ल. ....... वाह!रे वी.एस.एन.ल.
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Ashish Khandelwal
on
August 17, 2009 at 6:18 PM
वाह .. बीएसएनएल का किस्सा दिलचस्प रहा .. हैपी ब्लॉगिंग.
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ताऊ रामपुरिया
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August 17, 2009 at 9:02 PM
वाह जी बोदूराम तो आल राऊंडर होरहा है ताऊ की तरह?:)बहुत जोरदार किस्सा.
रामराम. -
Urmi
on
August 18, 2009 at 6:50 AM
बहुत बढ़िया लगा! जानदार, शानदार और ज़ोरदार किस्सा!
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Gyan Darpan
on
August 18, 2009 at 2:15 PM
अरे भाई ताऊ के साथ रहने से आदमी पता नहीं क्या क्या सीख जाता है |
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दिगम्बर नासवा
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August 18, 2009 at 5:54 PM
लगता है अंग्रेजों को पता नहीं था नहीं तो वो भी फ़ोन घुमा कर ये गाना सुन लेते ............. पर भाई बोदूराम चतुर निकला .......