अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी




बोदूराम के गाव मेहंदीगंज में आज "कवि सम्मलेन " का आयोजन किया गया था विभिन्न शहरों से लोगो को इसमे सिरकत करने के लिए आमंत्रित किया गया था गाव के कुछ लोगो ने चमचा गिरी दिखाते हुए बोदूराम को ही मुख्य अतिथि भी बना दिया था और प्रचार करवा दिया था कि यह आयोजन बोदूराम जी के ताऊ आश्रम से वापस आने की खुशी में किया जा रहा है

बोदूराम को कविता आती नही लेकिन किसी से कह नही सकते नही तो ताऊ की आश्रम की बेइज्जती मरता क्या करता बोदूराम ने भी दो कविताये याद कर ली और पहुच गए मंच पर शुरुआत बोदूराम के माल्यार्पण से हुआ उ़सके बाद एक एक लोगो ने अपने कविता प्रस्तुत किया चूकी आयोजन खाश करके बोदूराम के लिए किया गया था अतः सभी लोगो ने बोदूराम को सुनने की इच्छा व्यक्त की चारो तरफ से बोदू बोदू के नारे लगने लगे आयोजको ने बोदूराम को मंच पे आमंत्रित किया - अब हमारे बीच ताऊ आश्रम से ताउगीरी कि शिक्षा प्राप्त बोदूराम जी कुछ सुनायेगे बोदूराम खड़े हुए और बोले मै - आप लोग हमें यहाँ सम्मानीत किया मै बहुत आभारी हु और मै अब अपनी कुछ मनपसंद रचनाये आपको सुनाउगा पहली रचना मै ताऊ आश्रम में उस समय लिखी थी जब पहली बार शराब पीने पर ताऊ द्वारा पिटा गया था रचंना कुछ इस प्रकार है



मै हु पीने वाला , मै हु पीने वाला
मुझे दुनिया क्या मारेगी, मै खुद हु मरने वाला
दारू गाजा अफीम चरस , ये सब है मेरे साथी ,
शादी में मेरे कोई आए , ये सब है मेरे बाराती
सिगरेट का धुँआ अच्छा लगता है , इतर है मेरे वास्ते ,
इतना सुनकर लाला जी , हो गए तुम तो खास्ते
सिगरेट के पैकेट पे बिच्छु छापो , मै ना हु डरने वाला ,
मुझे दुनिया क्या मारेगी , मै खुद हु मरने वाला
अब दूसरी रचना कुछ इस प्रकार है
मेरी प्यारी बहना , राज दुलारी बहना ,
आज है उसकी शादी , दिल में है बड़े अरमान

मै करू उसकी शादी बार -बार हजार बार :)

अब इतना सुनना था कि मुंगेरीलाल बोदूराम के पिताजी लट्ठ लेकर मंच पे चढ़ गए और बोले कमीने शराब गाजा के बारे में इतना बोला मै बर्दास्त किया अब तू अपनी बहन को भी नही छोड़ा स्सालेशादी एक बार होती है या बार बार खुद पैदा करना फिर करना!!!

5 comments:

  1. Arshia Ali on August 12, 2009 at 4:30 PM

    Rochak hain ye rachnaayen.
    { Treasurer-S, T }

     
  2. ताऊ रामपुरिया on August 12, 2009 at 4:32 PM

    भाई बोदूराम को कुछ ज्यादा ही ट्रेनिंग मिल गई ताऊ से?:)

    रामराम.

     
  3. Anonymous on August 12, 2009 at 7:09 PM

    बोदूराम तो गजब के धाँसू कवि दिखते है आनंद आ गया .

     
  4. Arvind Mishra on August 12, 2009 at 7:44 PM

    बढियां है !

     
  5. संजय भास्‍कर on January 25, 2010 at 12:30 PM

    NJAYबहुत ही सुन्दर अहसासों से भरी रचना.
    Bahut Barhia... Aapka Swagat hai...isi tarah likhte rahiye


    Ek nazar idhar bhi:

    http://sanjay.bhaskar.blogspot.com

     

हमारे ब्लाग गुरुदेव

हमारे ब्लाग गुरुदेव
श्री गुरुवे नमः

Blog Archive

चिट्ठाजगत
www.blogvani.com

Followers

About Me

My photo
साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
विजेट आपके ब्लॉग पर