ताऊ आश्रम से वापस आने के बाद बोदूराम का मन किसी भी काम में नही लगता था उसे ताऊ , ताई , रामप्यारी , और सैम बीनू की बहुत याद आती थी । कभी कभार फ़ोन पर बात हो जाया करती थी बस । इस तरह उदास देखकर बोदूराम के परिवार वाले बहुत चिंतित रहते थे । एक दिन बोदूराम के परिवार वालो को पता चला कि पास के स्वास्थ्य केन्द्र पर चपरासी की भर्ती निकली है । बोदूराम की माँ बोदूराम से बोली - बेटा इस तरह उदास रहने से काम नही चलेगा पास के हॉस्पिटल में चपरासी की भर्ती निकली है तू तो ताऊ आश्रम से शिक्षा भी प्राप्त किया है क्यों न तुम भी भर्ती में जाओ। वहा पर आशीष खंडेलवाल जी इंटरव्यू ले रहे है तुम ताऊ का परिचय दोगे तो वो सायद तुम्हे ये नौकरी दे दे । बोदूराम ने भी सोचा चलो अगर मई वहा चपरासी में भर्ती हो गया तो कभी कभार ताऊ के परिवार वालो से मुलाकात भी हो जाया करेगी क्युकी ताई भी रामप्यारी के लिए दवा लेने वही आती थी । बोदूराम सज धजकर इंटरव्यू के लिए पहुचा तो देखा कि वहा तो पहले से ही १० लोग लाइन लगाकर खड़े है बोदूराम भी लें में खडा हो गया । अन्दर गया आदमी जब वापस आया तो बोदूराम उसे पकड़कर एक कोने में ले गया और पूछने लगा कि अन्दर क्या सवाल पूछा जा रहा है ? पहले तो वह आदमी ना नुकुर किया पर जब बोदूराम ने ताऊ द्वारा दी गयी लट्ठ दिखायी तो सब कुछ बता दिया । आदमी बोला कि मुझसे अन्दर ४ सवाल किया गया है जो मै तुम्हे बता दे रहा हु ।
१- उत्तर प्रदेश की राजधानी क्या है ?
२-भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का नाम क्या है ?
३-भारत को आजादी कब प्राप्त हुआ ?
४-क्या मानव को एक बार मरने के बाद पुनः जीवित किया जा सकता है .? बोदूराम इन सवालो के जवाब तुंरत ताऊ से फ़ोन करके पूछ लिया और कई बार मन ही मन दोहरा भी लिया था । बोदूराम का नम्बर आया बोदूराम जाकर कुर्सी पे बैठ जाते है । सामने से आशीष खंडेलवाल जी प्रश्न करते है।
आशीष खंडेलवाल जी- हा भाई आपका नाम क्या है ? बोदूराम - जी लखनऊ ।
आशीष खंडेलवाल जी- अच्छा , तो आपके पिताजी का क्या नाम है ?
बोदूराम - लाल बहादुर शास्त्री ।
आशीष खंडेलवाल जी - आप कब पैदा हुए थे ?
बोदूराम- जी चिंगारी की आग तो उन्नीसवी शताब्दी के सुरुआत से ही फ़ैल गयी थी लेकिन सफलता उन्नीस सौ सैतालिश में प्राप्त हुई थी ।
आशीष खंडेलवाल जी - किस बेवकूफ ने तुमको यहाँ आने की अनुमति दी क्या तुम पागल हो ?
बोदूराम - खोज जारी है लेकिन अभी कोई सही निष्कर्ष नही आया है ।
एक चटका यहाँ भी
4 comments:
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दिगम्बर नासवा
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August 10, 2009 at 4:01 PM
हां हां हां............ लाजवाब पोस्ट है ............. हंसी नहीं रुक रही अब क्या कहें............... ग्रेट
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दर्पण साह
on
August 10, 2009 at 4:19 PM
post to bahut acchi hai...
par aapke profile main likhi aapki gahzal zayada acchi lagi:
साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
flawless....
aapka blog bhi sunder aur unique laga....
blogpost main aisa possible hai kya ji? ya koi premium service hai? -
ताऊ रामपुरिया
on
August 10, 2009 at 4:28 PM
वाकई बोदूराम तो ताऊ का ही चेला दिख रहा है. बहुत बढिया.
रामराम. -
आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal)
on
August 10, 2009 at 5:48 PM
भई वाह .. क्या खूब.. हंसे बिना नहीं रह सके. हैपी ब्लॉगिंग