अहसास रिश्‍तों के बनने बिगड़ने का !!!!

एक चटका यहाँ भी


ताऊ जी के ट्रेनिंग कैम्प से अव्वल दर्जे में ताउगीरी की स्नातकोत्तर शिक्षा, ताऊ के हाथों गोल्ड मैडल से सम्मानित व्यक्ति, ये है


बोदूराम का परिचय. बोदूराम यहाँ इस ब्लॉग के माध्यम से ताऊ द्वारा सिखाई गयी कुछ कलाओ से आपको परिचित कराएगा . शुरुआत करते है आज की इस कहानी से ।





बोदूराम ने ताऊ जी के ताऊआनंद आश्रम से दिक्षा ग्रहण करके वापस आने के बाद नाव चलाने का काम शुरू किया और नाव के आगे ताऊ जी कि फोटो लगाकर उनका गुरुवत ध्यान मनन भी करता रहता था ।

एक बार बरसात के दिन में बहुत ोर की बारीश हुई. नदी एकदम उफान पे थी और बोदूराम अपनी नाव लेकर नदी किनारे मुसाफिर की तलाश कर रहा था कि कोई उस पा जाने वाला मिलेइतने में सामने से एक पंडित जी आते दिखायी दिएबोदूराम ने पंडित जी को अभिवादन किया और नाव कि रस्सी खोलने लगा पंडित जी पैसे देने के विचार मे नही थे इसीलिए उन्होंने सोचा बोदूराम को दो-चार अच्छी अच्छी बातें बताउगा तो ये डरके मारे पैसा मागेगा ही नही ऐसा विचार मन में आते ही पंडित जी ने बोदूराम बेटा तुम्हारा शुभ नाम क्या है ?बोदूराम पंडित जी- बड़ा सुंदर नाम है. अच्छा बेटा ये बताओ तुम्हे भगवान् पे भरोसा है बोदूराम ने बड़े सहजता से उत्तर दिया - हाँ महाराज मुझे भगवान् पे भरोसा है और साथ में अपने कि गए कर्मो पे भी पंडित जी ने सोचा ये तो बड़ा ही समझदार निकला अब पंडित जी ने दूसरा प्रश्न किया - बेटा तुमने गया जगन्नाथ और काशी यात्रा किया है ? बोदूराम - नही महाराज जीपंडित जी - हो हो !! तब तो तुम्हारा आधा जीवन बेकार गया अच्छा ये बताओ तुमने कहा तक शिक्षा प्राप्त की है ?
बोदूराम - महाराज जी मै निरक्षर हुपंडित जी- अरे तब तो तुम्हारा चौथाई जीवन और नष्ट हो गया ये सब बातें करते करते नाव बीच नदी में पहुच गयी थी अचानक बोदूराम को कुछ सुझा और उन्होंने जान बूझकर नावको पलटी मरवा दिया बोदूराम तो नाविक था उसे तैरना ता था बोदूराम तैरकर नदी के दुसरे छोर पर पहुच गया था और दूसरी तरफ़ ंडीत जी किसी तरह जान बचाने की कोशिश में पानी में हाथ पैर चला रहे थेपंडित जी ने चिल्लाकर बोदूराम को आवाज दिया - अरे बेटा बोदूराम मुझे बचाओ , बचाओ बचाओ बोदूराम ने भी चिल्लाकर सवाल किया - पंडित जी आपको तैरना नही ता क्या? पंडित जी ने नकारात्मक उत्तर दिया

बोदूराम तुरंत चिल्लाकर बोला - पंडितजी तब तो आज आपका सारा जीवन ही बेकार गया.

अब पंडितजी ने देखा कि अब तो सच मे डूबकर मर ही जाऊंगा तो उन्होने जोर से आवाज लगाई - अरे बेटा बोदूराम मुझे बचाओ..मैं तुम्हारा सारा किराया

चुका दूंगा.
बोदूराम तुंरत नदी में कूदकर पंडीत जी की जान बचाई और उन्हें दी के उस पार ले गया बोदूराम
ने पंडीत जी कि तरफ़ देखकर मुस्कराते हुए बोला - पंडीत जी अगर आपको तैरना नही आता तो अब आप मान लो आज आपका सारा जीवन नष्ट हो जाता पंडित जी सर नीचे किए वहा से चल दिए!
अब नीचे लगी फोटो भी देख लो

ये है शिल्पा शेट्टी

ना ! ना !! साथ में रिचार्ड गेरे नही है ये तो है पवाई मन्दिर के साधू महराज !!!


3 comments:

  1. ताऊ रामपुरिया on August 8, 2009 at 8:49 PM

    वाह भाई मिश्राजी. ये हमारे शिष्य बोदूराम आपके पास आगये क्या?:)

    साधू महाराज बडे मजे मे हैं.:)

    रामराम.

     
  2. जाट के ठाठ on August 8, 2009 at 8:51 PM

    जय हो ताऊबाबा की. उनका चेला भी घणा तगडा है जी.

     
  3. somadri on August 10, 2009 at 12:03 PM

    बोदूराम ki jay ho...

    http://som-ras.blogspot.com

     

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साँस लेते हुए भी डरता हूँ! ये न समझें कि आह करता हूँ! बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब! मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ! इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है! साँस लेता हूँ बात करता हूँ! शेख़ साहब खुदा से डरते हो! मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ! आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज! शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ! ये बड़ा ऐब मुझ में है 'yaro'! दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ!
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